पटना : मनी लॉन्ड्रिंग के केस में लगभग दो महीने से जेल में बंद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसर संजीव हंस के पीछे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बलात्कार के आरोप में दर्ज एक प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर लगी थी, जिसे पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया लेकिन ईडी ने संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव की करोड़ों की काली कमाई खोद निकाली। 18 अक्टूबर से हिरासत में चल रहे संजीव हंस से जुड़े लोगों के ठिकानों पर अब तक छापेमारी चल रही है। ताजा रेड 4 दिसंबर को 13 ठिकानों पर पड़ी जिसमें 60 करोड़ के शेयर, 70 से अधिक खातों में करोड़ो रुपये के अलावा रियल एस्टेट में निवेश का पता चला है।
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रहे संजीव हंस का खराब समय तब शुरू हुआ जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली एक महिला वकील ने उनके और उनके बिजनेस पार्टनर गुलाब यादव पर बार-बार रेप करने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया। मूल रूप से बिहार की रहने वाली ये महिला वकील 2016 में गुलाब यादव से मिली थीं। तब गुलाब यादव विधायक थे और महिला को ये झांसा दिया था कि वो उसे बिहार राज्य महिला आयोग का सदस्य बनवा देंगे।
महिला का आरोप है कि पहले गुलाब यादव और फिर संजीव हंस ने 2016 से 2019 तक दिल्ली और पुणे के होटलों में उसका रेप किया। महिला एक बार गर्भवती हुई तो अबॉर्शन करवा दिया गया लेकिन दूसरी बार 2018 में उसने एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद महिला संजीव हंस को अपने बेटे का बाप बताकर कानूनी तौर पर पिता का नाम दिलवाने की लड़ाई में उतर गई। महिला ने डीएनए जांच के लिए हाईकोर्ट में केस भी कर रखा है। महिला को चुप रहने के लिए संजीव हंस ने 90 लाख नकद ट्रांसफर किए और 20 लाख की एक कार भी दी थी लेकिन वो काम नहीं आया।
महिला ने संजीव हंस पर रिश्ते को सार्वजनिक करने और बच्चे को बाप का नाम देने के लिए दबाव बनाया लेकिन बात नहीं बनी। तब महिला रेप का केस दर्ज करने थाने गई। पुलिस ने मुकदमा नहीं लिखा तो 2021 में दानापुर कोर्ट चली गई। कोर्ट के आदेश पर पटना के रुपसपुर थाने में 2023 के जनवरी में एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस की जांच काफी आगे बढ़ चुकी थी लेकिन इस अगस्त में हाईकोर्ट ने केस रद्द कर दिया। महिला वकील ने तब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी।
अब आप कहेंगे कि रेप केस में ईडी को क्या ऐसा सुराग मिला कि वो संजीव हंस और गुलाब यादव के पीछे लग गई। असल में महिला ने अपनी शिकायत में संजीव हंस और गुलाब यादव के भ्रष्टाचार की कहानी भी लिख दी थी। कैसे कमाते हैं, कैसे खपाते हैं, कहां-कहां बिजनेस है। ईडी ने इस बात से कहानी में एंट्री मारी। कई महीने की छानबीन के बाद ईडी ने इस साल जुलाई में पहली बार रेड मारा। उसके बाद पूछताछ और गिरफ्तारी हुई। पिछले शुक्रवार को संजीव हंस की पत्नी मोना हंस को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था और काफी देर तक सवाल-जवाब किए। पुणे के पेट्रोल पंप से लेकर कई विदेश यात्रा पर सवाल पूछे गए लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं रहा।
रेप केस कानूनी तौर पर इस समय रद्द है। महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया है या नहीं, ये इस समय साफ नहीं है। संजीव हंस ने भी केस दर्ज करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर किया था। रेप केस भले कोर्ट-कचहरी में फंसा है लेकिन संजीव हंस और गुलाब यादव ईडी के जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं। ईडी के सामने आगे चुनौती होगी कि वो जांच के आधार पर कर रहे दावे को कोर्ट में भी साबित कर सके। नहीं तो ईडी के केस में आरोपी के कोर्ट से बरी होने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है।