हाईकोर्ट ने उमरिया के पूर्व कलेक्टर को किया नोटिस जारी, पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पक्षपात के आरोप
जबलपुर : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को हाई कोर्ट ने नामज़द नोटिस (notice) जारी किया है. उमरिया की ज़िला पंचायत अध्यक्ष की प्रत्याशी रहीं सावित्री सिंह धुर्वे (Savitri Singh Dhurve) की याचिका पर जस्टिस डीके पालीवाल की सिंगल बेंच से यह नोटिस जारी किया है. बताया जा रहा है कि सावित्री धुर्वे ने अपने ख़िलाफ़ कलेक्टर द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर निरस्त करने के लिए यह याचिका दायर की है.
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में तर्क प्रस्तुत किए कि आवेदिका जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रत्याशी थीं. 29 जुलाई 2022 को अध्यक्ष के चुनाव में उन्हें और उनके प्रतिद्वन्द्वी को 5 -5 वोट मिले थे. इसलिए नतीजे के लिए लाट डाला गया. तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने सत्तारूढ़ दल के नेता के दबाव में पक्षपात करते हुए पर्ची बदल दी, जिस पर याचिकाकर्ता ने तुरंत लिखित शिकायत प्रस्तुत की.
आरोप है कि तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा याचिकाकर्ता के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया था, जिसकी शिकायत पुलिस में की गई. पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई ना करने पर लिखित शिकायत एसपी उमरिया को दी गई. उक्त जानकारी होने पर घटना के दूसरे दिन कलेक्टर ने व्यक्तिगत रूप से पुलिस थाना उमरिया में जाकर आवेदिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी.
याचिका में निवेदन किया गया है कि कलेक्टर ने दुर्भावनावश अपने खिलाफ की जा रही कार्रवाई से बचने के लिए पद का दुरुपयोग करते हुए आवेदिका के ऊपर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है. चुनाव मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए जाना आवश्यक नहीं है. वह अपने किसी मातहत कर्मचारी को अधिकृत कर एफआईआर दर्ज करा सकता हैं. मौके पर उपस्थित एसपी और थाना प्रभारी को निर्देश देकर एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है.
लेकिन, कलेक्टर का एक दिन बाद व्यक्तिगत रूप से पुलिस थाने में जाना यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट दर्ज कराई है. वह भी आवेदिका के रिपोर्ट दर्ज करने के बाद, जो काउंटर ब्लास्ट की श्रेणी में आता है. अधिवक्ता उपाध्याय के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने तत्कालीन कलेक्टर उमरिया संजीव श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.