BREAKING NEWSCrime News - अपराधState News- राज्यTOP NEWSदिल्लीफीचर्ड

कर्मचारियों के बकाया वेतन को लेकर एमसीडी को हाईकोर्ट की फटकार

कर्मचारियों के बकाया वेतन को लेकर एमसीडी को हाईकोर्ट की फटकार

निगमों को कर्ज के फंड से की गई कटौती दो हफ्ते में रिलीज करे सरकारः HC

नई दिल्ली, 21 जनवरी (दस्तक ब्यूरो) :  दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगमों के कर्मचारियों और हेल्थ वर्कर्स को सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करते हुए तीनों नगर निगमों को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि यह समस्या कोरोना महामारी की वजह से नहीं बल्कि दिल्ली सरकार के केंद्र और निगमों के बीच सैंडविच बनने की वजह से बनी है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि उसने नगर निगमों को कर्ज के फंड से जो कटौती की है, वह रकम दो हफ्ते के भीतर निगमों को दे दे। मामले पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

खर्चे का ब्यौरा कोर्ट में दाखिल करने का आदेश

जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीनों नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे अप्रैल 2020 से विभिन्न क्षेत्रों में अपने खर्चे का ब्यौरा कोर्ट में दाखिल करें अन्यथा अपने चेयरपर्सन को अगली सुनवाई के लिए कोर्ट के सामने मौजूद रहने के लिए कहें। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को फटकार लगाते हुए कहा कि ये वो लोग हैं, जिनकी वजह से आपके घर और सड़कें साफ रहती हैं। उनकी वजह से ही अस्पताल चल रहे हैं। इनके प्रति आप लोगों का रवैया शर्मनाक है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी अक्टूबर 2020 से सैलरी नहीं मिली है।

कोरोना काल में हेल्थ वर्कर्स, सफाई कर्मचारी फ्रंटलाइन कर्मचारी रहे

पिछले 15 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि जब ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को दर्द महसूस होगा तो सारे काम होने लगेंगे। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है, जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने नगर निगमों को अपने पार्षदों की सैलरी और क्लास वन एवं टू के अधिकारियों के वेतन के भुगतान में होने वाले खर्च के बारे में बताने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना काल में हेल्थ वर्कर्स, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारी फ्रंटलाइन कर्मचारी हैं। इनकी सैलरी देने की प्राथमिकता तय होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा था कि नगर निगमों में विवेकाधीन खर्चे और अधिकारियों को भत्ते एवं गैर-जरूरी खर्चों पर रोक लगाई जा सकती है ताकि उनका उपयोग फ्रंटलाइन कर्मचारियों को वेतन देने में हो सके। कोर्ट ने कहा था कि पार्षद और अधिकारी भगवान की तरह रह रहे हैं।

ड्यूटी और पार्किंग चार्ज के मद की राशि निगमों को जारी क्यों नहीं

कोर्ट ने कहा था कि धन की कमी का बहाना बनाकर सैलरी और पेंशन नहीं रोकी जा सकती है, क्योंकि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने नगर निगमों को दिए जाने वाले कर्ज में कटौती करने की बात की थी। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौरान रिजर्व बैंक ने भी लोन पर मोरेटोरियम की घोषणा की है, ऐसे में आप कर्ज में कटौती कैसे कर सकते हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह भी बताने को निर्देश दिया  था कि वो ये बताए कि ट्रांसफर ड्यूटी और पार्किंग चार्ज के मद की राशि निगमों को जारी क्यों नहीं की गई? कोर्ट ने पूछा कि आप ये राशि नगर निगमों को कब देंगे?

  1. देशदुनियाकीताजातरीन सच्ची और अच्छी खबरों को जानने के लिए बनें रहेंorgके साथ।
  2. फेसबुकपरफॉलोंकरने के लिए : https://www.facebook.com/dastak.times.9
  3. ट्विटरपरपरफॉलों करनेके लिए : https://twitter.com/TimesDastak
  4. साथहीदेशऔर प्रदेश की बड़ी और चुनिंदा खबरों के ‘न्यूज़वीडियो’ आप देख सकते हैं।
  5. youtube चैनलकेलिएhttps://www.youtube.com/c/DastakTimes/videos

मूलभूत जरूरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता

5 नवंबर, 2020 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाईकर्मियों की सैलरी देने के मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि नगर निगम के कर्मचारियों को अपने परिवार की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। पैसों की कमी सब जगह है लेकिन इस वजह से इन लोगों को उनकी मूलभूत जरूरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता है।

Related Articles

Back to top button