नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली उच्च न्यायपालिका सेवा (DHJS) के एक उम्मीदवार की उत्तर पुस्तिकाओं में से एक के पुनर्मूल्यांकन (Answer sheets competitive test re-evaluation) का आदेश देने से इनकार कर दिया है, जो अगले दौर की प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए योग्यता सीमा से एक अंक कम था. न्यायमूर्ति विभु बाखरू और न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ परीक्षा प्रश्न पत्र, कानून- III के संबंध में याचिकाकर्ता की उत्तर पुस्तिकाओं की ‘पुन: जांच पुनर्मूल्यांकन‘ करने का निर्देश देने वाली याचिका पर विचार कर रही थी.
हाईकोर्ट ने कहा कि निस्संदेह, यह एक कठिन मामला है जहां एक मेधावी उम्मीदवार अपेक्षित कट-ऑफ को पूरा नहीं कर पाया है. हालांकि, न्यायालय यह स्वीकार करने में असमर्थ है कि अंकन प्रणाली में कोई स्पष्ट त्रुटि है या कोई व्यवस्थित विफलता है. प्रासंगिक नियमों या किसी भी आरोप के लिए कोई विश्वसनीय चुनौती नहीं है कि निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.
बेंच ने 12 सितंबर के अपने आदेश में यह भी कहा कि यह संभव है कि पुनर्मूल्यांकन पर याचिकाकर्ता उच्च अंक प्राप्त कर सके. हालांकि, अनुपस्थित परिस्थितियां जो अंकन प्रणाली या उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में किसी दोष का संकेत देती हैं, यह न्यायालय याचिकाकर्ता को कोई सहायता देने में असमर्थ है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि कम से कम पांच उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके अंक अर्हक अंकों से दो या उससे कम अंक कम हो रहे हैं. उम्मीदवारों में से एक को शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया है क्योंकि उसने सामान्य ज्ञान और भाषा के पेपर में 67 अंक हासिल किए हैं, जो कि क्वालिफाइंग कट-ऑफ से 0.5 अंक कम है. एक ही पेपर में दूसरे उम्मीदवार के अंक 1.5 अंकों से कम हैं. याचिकाकर्ता के समान एक उम्मीदवार भी है, जिसने कानून- III में 89 अंक हासिल किए हैं और सभी पेपरों में उसके कुल अंक 50% से ऊपर होने के बावजूद उसका चयन नहीं किया गया है. इन सभी दलीलों के साथ बेंच ने याचिका खारिज कर दी.