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महिलाओं को हिमाचल सरकार का तोहफा, शिमला के बुक कैफे चलाएंगी महिला एसएचजी

शिमला । हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शुक्रवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन यानी डीएवाई-एनयूएलएम के तहत महिला संचालित स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) शिमला के नवनिर्मित बुक कैफे चलाएंगे और खुद शनिवार को मंत्री सुरेश भारद्वाज इस कॉन्सेप्ट यानी योजना को चौरा मैदान बुक कैफे में लॉन्च करेंगे। सूबे के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बुक कैफे का निर्माण किया गया है। चौरा मैदान और छोटा शिमला में हाल ही में बुक कैफे का उद्घाटन किया गया। हमने इन बुक कैफे को चलाने के लिए कई तरह से विचार किया कई मॉडलों पर चर्चा की। अब, हमने फैसला किया है कि डीएवाई-एनयूएलएम योजना के तहत पंजीकृत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं इन कैफे को चलाएंगी।

आगे मंत्री भारद्वाज ने कहा, मैंने शहरी क्षेत्रों में महिला एसएचजी को अच्छा व्यवसाय देने का वादा किया था। मतलब, एसएचजी महिलाओं को रोजगार देने के लिए एक बाजार देने का लक्ष्य रखा था। इसलिए ये एक शानदार पहल है या ये कहें ये एक अनूठी अवधारणा होगी। अपने उत्पादों को अधिक से अधिक लोगों तक दिखाने या बताने और बेचने के अलावा, महिलाएं सरकार के स्वामित्व वाले बुक कैफे की व्यवस्था करेंगी। शिमला में 200 से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं। नगर निगम का एनयूएलएम डिवीजन एसएचजी के साथ मिलकर काम करेगा। मंत्री ने कहा, वे व्यवसाय में पारदर्शिता तय करेंगे।

मंत्री भारद्वाज ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा महिलाओं को मजबूत करने के लिए डीएवाई-एनयूएलएम पर जोर दिया है। शहरी गरीबों का जीवन कठिन है क्योंकि उनके पास कृषि भूमि नहीं है। साथ ही उनके पास जीवन गुजारने के लिए सीमित अवसर हैं। लेकिन ये योजना कई लोगों के जीवन को बदलेगी।

जब भी मंत्री मेलों या किसी प्रदर्शनी में जाते थे, तो स्वयं सहायता समूहों ने व्यापार यानी विपणन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, हम पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर काम कर रहे हैं, लेकिन मार्केटप्लेस मुहैया कराना एक बड़ा मसला है। मार्केटप्लेस एक ऐसा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म है जहां कई व्यापारियों या कंपनियों को अपने प्रॉडक्ट बेचने की जगह मिलती है।

इस बड़े ऐलान के साथ ही मंत्री ने कहा कि, चौरा मैदान बुक कैफे विधानसभा के पास पुस्तकालय पर तनाव को कम करने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहा, इस अवधारणा के पीछे विचार ये था कि इस संपत्ति का उपयोग पाठकों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाए, इसके अलावा एसएचजी के लिए एक मंच प्रदान करने के बजाय, अंतरिक्ष का व्यवसायीकरण किया जाए।

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के पास हिमाचल प्रदेश का सहकारिता विभाग भी है, आगे उन्होंने कहा कि, वो इन स्वयं सहायता समूहों के लिए एक सहकारी मॉडल पर भी विचार कर रहे हैं और इस क्षेत्र में काम भी किया गया है। महिलाओं की ट्रेनिग के लिए भी खर्च किया गया है। अब समय आ गया है कि एक ऐसा समाज बनाया जाए जहां एसएचजी को कम सरकारी मदद की आवश्यकता हो। जिससे आत्मनिर्भरता के मॉडल को बढ़ावा मिले। मंत्री ने कहा कि, बुक कैफे चलाने वाली महिला एसएचजी से आत्मनिर्भर भारत को बल मिलेगा यानी ये एक आत्मनिर्भर मॉडल की शुरुआत है।

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