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हिन्दुओं में नेपाली लोगों के लिए दुर्भावना नहीं हो सकती : संत समिति

नई दिल्ली : अखिल भारतीय संत समिति और विश्व हिन्दू परिषद ने एक संत कंप्यूटर बाबा के नेपाली नागरिकों के लिए अपमानजनक बयान देने की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि भारत के हिन्दू समाज में नेपाल के लोगों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं हो सकती है तथा दुर्भावना फैलाने का प्रयास करने वाले कभी सफल नहीं हो सकते हैं। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने यहां एक बयान में कहा कि एक तथाकथित कांग्रेसी बाबा द्वारा यह कहा गया कि अगर नेपाल के प्रधानमंत्री माफी नहीं मांगेगे तो वो नेपालियों को भारत से भगाएंगे…अखिल भारतीय संत समिति इस वक्तव्य का कड़ा निषेध करती है।

स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि अखिल भारतीय संत समिति का मानना है कि भारत और नेपाल का रिश्ता किसी व्यक्ति का रिश्ता नहीं है…कोई वामपंथी राजनीतिक दल यह चाहे कि इस तरीके के बयानबाजी से भारत और नेपाल के बीच कोई विभेद डाल देगा… तो नेपाल के लोग अपनी बहन के यहां आते हैं और भारत के लोग अपने ससुराल जाते हैं नेपाल में…यह हमारी मान्यता है। हमारा रिश्ता सोमनाथ विश्वनाथ से लेकर पशुपतिनाथ तक का है…हमारा रिश्ता श्रीअयोध्याजी में प्रारंभ होकर श्रीजनकपुर में समाप्त होता है.. इस नाते जब तक भगवान राम और भगवान शिव का अस्तित्व इस धरा धाम पर है तब तक भारत और नेपाल के आम नागरिकों का आपस का सौहार्दपूर्ण संबंध उसी ऊंचाई पर रहेगा जो महाराजा जनक विदेह के और राजा दशरथ जी के समय में संबंध में सम-बंध थे, वे समधी समबंधी थे, उसी प्रकार आज भी भगवान राम के वंशजों के बीच भी वही रिश्ता हमारा रहने वाला है।

उन्होंने कहा कि इसलिए अखिल भारतीय संत समिति का मानना है कि ऐसे निम्न कोटि के संत स्वयं को लाइम लाइट में रखने के लिए अनावश्यक बयानबाजी न करें…भारत नेपाल के रिश्ते हजारों हजार वर्षों से है और वो आगे के भी हजारों हजार वर्षों तक रहेंगे … कितने ओली कितने कम्प्यूटर आए और गए, हमारे रिश्तों पर कोई दाग लगने वाला नहीं है…. विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि कम्प्यूटर बाबा का भारत में रहने वाले नेपालियों के विषय दिया गया बयान बेहद निंदनीय है। नेपाल का हिंदू समाज अयोध्या एवं श्रीराम भक्त है। अतः भारत के सम्पूर्ण हिन्दू समाज के मन में नेपाल या नेपालियों के प्रति कोई दुर्भावना हो ही नहीं सकती।

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