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मजदूरों पर हिटलरी सोच से बाज आए सरकार, नहीं तो स्थति होगी नियंत्रण से बाहर : रामगोविंद चौधरी

लखनऊ: नेता प्रतिपक्ष, उत्तर प्रदेश रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि देश के कोने कोने में भूख प्यास से बिलख रहे मजदूरों की घर वापसी के मामले में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का रवैया जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर जैसा है। ये लोग पहले हिटलर की तरह मजदूरों को तड़पते हुए देखना चाहते हैं। फिर कुछ करके अपने आप ही अपने को मसीहा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मजदूरों की घर वापसी को लेकर भारत सरकार और राज्य की सरकारों का यह रवैया ठीक नहीं है। इसमें बदलाव नहीं हुआ तो समाजवादी पार्टी लोगों को सड़क पर उतरने से रोक नहीं पाएगी।

गुरुवार को जारी एक ऑनलाइन प्रेस नोट में रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि मजदूरों को वापस लाने के लिए मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री को दो बार खत लिखा। इसके बाद गोवा, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, आसाम, कर्नाटक, बंगाल के सभी मुख्यमंत्रियों और दमनद्वीप के उपराज्यपाल को खत लिखा।

दो बार भारत के गृहमंत्री को भी पत्र लिखा कि वह देश के विभिन्न राज्यों में फंसे बाँसडीह विधानसभा क्षेत्र, बलिया जनपद और उत्तर प्रदेश के समस्त मजदूरों की घर वापसी सुनिश्चित कराएं। यही नहीं, बाँसडीह और बलिया के मजदूरों का फोन नम्बर दिया, नाम दिया, कहाँ फँसे हैं, वह स्थान दिया लेकिन सरकार कान में तेल डाले पड़ी है और मजदूर वहाँ बिलख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने सरकार से यह भी कहा है कि यदि वह सक्षम नहीं है तो अनुमति दे, समाजवादी पार्टी खुद इन मजदूरों को घर लाएगी लेकिन सरकार इस पर भी चुप्पी साधे हुए है।

नेता प्रतिपक्ष ने सुनाई हिटलर की मुर्गे वाली कहानी

नेता प्रतिपक्ष, रामगोविन्द चौधरी ने प्रेसनोट में एक कहानी लिखी कि, एक बार जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर संसद में अपने साथ एक मुर्गा लेकर गया। वह सदन के समक्ष मुर्गे का एक एक पर नोचता रहा और फेंकता रहा। मुर्गा दर्द से तड़पता रहा, बिलखता रहा लेकिन हिटलर रुका नहीं। मुर्गे का आखिरी पर नोचने के बाद उसने दर्द से तड़प रहे, बिलख रहे मुर्गे को फर्श पर पटक दिया। कुछ पल बाद तड़प रहे, बिलख रहे मुर्गे के उसने सामने कुछ दाना फेंका। मुर्गा दाना खा लिया। उसने फिर दाना फेंका। मुर्गे ने फिर खा लिया। हिटलर ने फिर अपने पैरों के पास दाना डाल दिया। मुर्गा हिटलर के पैरों के पास खड़ा होकर दाना खाने लगा। इसके बाद एडॉल्फ हिटलर स्पीकर की ओर मुखातिब हुआ और कहा कि लोकतांत्रिक देशों की जनता इस मुर्गे की तरह होती है। वह “पर” नोचने के बाद भी अपने सामने दाना डालने वाले को मसीहा मान लेती है।

उन्होंने कहा है कि भारत सरकार और राज्य की सरकारों का मजदूरों के प्रति फिलहाल तक का रवैया एडॉल्फ हिटलर जैसा ही है जो किसी कीमत पर बर्दाश्त के काबिल नहीं है।

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