अन्तर्राष्ट्रीय

भारत और अमेरिका के बीच हुआ होम लैंड सिक्योरिटी डायलाग

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : भारत और अमेरिका के बीच एक दिवसीय होम लैंड सिक्योरिटी डायलाग आयोजित हुआ है जो दोनों देशों के मजबूत रक्षा और सामरिक संबंधों को दर्शाता है। इस बैठक में दोनों देशों ने आतंकवाद निरोधक सहयोग और अन्य सुरक्षा क्षेत्रों पर जरूरी चर्चा की। इसका आयोजन नई दिल्ली में हुआ और दोनों देशों ने मानव तस्करी, साइबर अपराधों, मनी लांड्रिंग, सुरक्षित और वैध माइग्रेशन के मुद्दों पर चर्चा कर आपसी सहयोग सुनिश्चित करने पर बल दिया है।

क्या है होमलैंड सिक्योरिटी डायलाग:

यह दो देशों के बीच संवाद की ऐसी पहल है जिसमें दोनों देश एक दूसरे की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में एक दूसरे को मदद देते हैं। उदाहरण के लिए आतंकवाद, संगठित अपराध, साइबर अपराध, अलगाववादी तत्वों से निपटना। इस संवाद के जरिए दो देशों में प्रतिरक्षा संबंध भी बढ़ता है।

गौरतलब है कि भारत विश्व मे सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है , वहीं वर्तमान में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा भगीदार का दर्जा भी वर्ष 2016 में दिया था । इतना ही नही, दोनों देशों के मध्य रक्षा क्षेत्र में सम्बन्ध क्रेता विक्रेता तक सीमित न होकर अब संयुक्त उत्पादन और सह अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे है। दोनों देश इंडो पैसिफिक स्ट्रेटजी के जरिए चीन के प्रभाव में कमी लाने के लिए भी काम कर रहे हैं।

दोनों देशों के मध्य बढ़ते सामरिक सहयोग के निम्नलिखित उदहारण देखे जा सकते है– अमेरिका द्वारा अपनी सामुद्रिक सुरक्षा रणनीति में एशिया प्रशांत क्षेत्र का नाम बदलकर हिंद प्रशांत क्षेत्र कर दिया गया है , जो इस क्षेत्र में भारत की केंद्रीय भूमिका को मान्यता देता है।

दोनों देशों के मध्य विदेश और रक्षा मंत्री के स्तर पर 2+2 वार्ता प्रारम्भ की गई है जिसके तहत वैश्विक आतंकवाद , साइबर सुरक्षा , महासागरीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सामरिक वार्ता की जा रही है ।

जापान,अमेरिका और भारत(JAI) के मध्य मालाबार नौसैन्य अभ्यास का आयोजन हो रहा है और इसमें ऑस्ट्रेलिया को भी जोड़े जाने पर विचार चल रहा है जिससे हिन्द प्रशांत और एशिया प्रशांत के सुरक्षा परिदृश्य को मजबूती दी जा सके।

जापान, अमेरिका, भारत और आस्ट्रेलिया के मध्य क्वैड के रूप में सामरिक बैठकें हो रही हैं । इन बैठकों का एक मुख्य मकसद चीन की एकाधिकारवादी मानसिकता को नियंत्रित करना है । चीन के वन बेल्ट वन रोड पहल के नकारात्मक प्रभावों पर ये राष्ट्र आपस में चर्चा कर अपनी प्रभावी कार्यवाही को संपन्न करने के लिए रणनीति निर्मित करते हैं ।

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