दवाओं पर अमेरिका में 200% तक टैरिफ की तैयारी, भारतीय दवा उद्योग पर कितना होगा असर

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित दवाओं पर 200% या उससे भी अधिक का भारी-भरकम टैरिफ लगाने की एक महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा किया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य दवा निर्माण की आउटसोर्सिंग को समाप्त कर उत्पादन को वापस अमेरिका में लाना है। हालांकि, दवा कंपनियों को इस बड़े बदलाव के लिए तैयार होने का समय देने के उद्देश्य से इन टैरिफों को लागू करने में लगभग एक से डेढ़ साल की देरी की जा सकती है।
एक प्रमुख वित्तीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस नीतिगत बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ सकता है, जो दुनिया में जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख निर्यातक है। यदि अमेरिका में यह टैरिफ लागू होता है, तो भारतीय दवा निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और उनके निर्यात कारोबार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। भारत अमेरिकी बाजार में सस्ती दवाओं का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है, और इस कदम से दोनों देशों के बीच दवा व्यापार की गतिशीलता बदल सकती है।
हालांकि, कुछ रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन का तत्काल ध्यान चीन से आयातित दवाओं और उनके कच्चे माल (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स – एपीआई) पर अधिक केंद्रित है। इसके बावजूद, भारतीय दवा उद्योग में चिंता का माहौल है क्योंकि अमेरिका उनके लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
भारतीय दवा उद्योग और सरकार इस पूरे घटनाक्रम पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और इसके संभावित प्रभावों का आकलन कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नीति किस रूप में लागू होती है और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है।