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जी20 में कैसे ‘संकट मोचक’ बन जाते थे पीएम मोदी, जयशंकर ने बताया घोषणापत्र पर सहमति का ‘राज’

नई दिल्ली : G20 में कई देशों के बीच तनातनी के बीच भी नई दिल्ली घोषणापत्र पर सबको सहमत करवाकर स्वीकार करवा लेना भारत की कूटनीति का ऐसा उदाहरण है जिसकी तारीफ विपक्षी भी कर रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि आखिर किस तरह से कई देशों को मनाया गया और उनको समझाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी। विदेश मंत्री ने कहा कि जब सारे उपाय करके हार जाते थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद लेनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा तैयार रहते थे और कठिन परिस्थिति में खुद मैदान में उतर पड़ते थे।

जयशंकर ने कहा, सारी बातें तो सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं लेकिन आपको पता है कि कोई भी जी20 सम्मेलन बिना साझा बयान के नहीं हुआ। लेकिन दूसरी तरफ यह भी सच है कि इस बार की जैसी विषम परिस्थितियां भी कभी नहीं रहीं। विदेश मंत्री ने कहा कि शेरपा और अधिकारी लगातार देशों के बीच के मतभेद दूर करने की कोशिश करते रहे। लेकिन उन्हें जब भी परेशानी आई तो वे सीधा प्रधानमंत्री मोदी के पास गए।

जयशंकर ने कहा, सम्मेलन के आखिरी दिन मुझे भी कुछ मामलों को लेकर पीएम मोदी के पास जाना पड़ा। ब्राजील, साउथ अफ्रीका और भारत जैसे कई देश थे जो कि साझा बयान जारी करने के प्रयास में थे। इसमें इंडोनेशिया भी शामिल था। लेकिन क्रेडिट पूरे जी20 को जाता है। अगर वे सभी ना चाहते तो यह नई दिल्ली घोषणापत्र पर इस तरह से सहमति संभव ना हो पाती।

जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की इस सम्मेलन के सफल आयोजन में तो बड़ी भूमिका थी ही इसके अलाव साझा बयान की भाषा को लेकर भी उन्होंने बड़ा रोल निभाया। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणापत्र पर सहमति बनाने के लिए अपने समकक्षों से बात की। उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने यह एहसास दिलवा दिया कि जहां दिक्कत है, वह मौजूद हैं। जी20 के आखिरी वक्त में मैं भी उनके पास गया और कुछ परेशानियां बताईं।वह तुरंत अपने समकक्षों से बात करने को तैयार हो गए।

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