पीएम मोदी ने मालदीव को सिखाया सबक, जानें लक्षद्वीप दौरे का कारण..
देहरादून (गौरव ममगाईं)। मालदीव में नई मुइज्जु सरकार आने के बाद से मालदीव, भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव को बड़ा सबक सिखाया है। पीएम मोदी ने पिछले दिनों भारत के समुद्री द्वीप ‘लक्षद्वीप’ का दौरा कर मालदीव को बड़ा झटका दिया है। इस दौरे से मालदीव को अपनी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन की कमर टूटने का डर सताने लगा है।
दरअसल, मालदीव में हाल ही में भारत समर्थित सरकार हटने के बाद नई मुइज्जु सरकार आई है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु को भारत विरोधी माना जाता है। यही कारण है कि सरकार बनने के बाद मुइज्जु सबसे पहले भारत विरोधी तुर्किये की यात्रा पर गये और इसके बाद भारत के सबसे बड़े दुश्मन चीन को चुना गया। नई सरकार लगातार भारत विरोधी नारे व भारतीय छवि को धूमिल करने जैसी हरकते करते रहते हैं। इसी कारण अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मालदीव को सबक सिखाने का फैसला लिया है। पीएम मोदी की एक लक्षद्वीप यात्रा ने ही मालदीव को परेशान करके रख दिया है।
लक्षद्वीप यात्रा से क्यों परेशान है मालदीव सरकार
दरअसल, मालदीव की अर्थव्यवस्था का रीढ़ पर्यटन को माना जाता है। समुद्री द्वीपीय देश होने के कारण यहां दूसरे देशों से लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां के फॉरेन एक्सचेंज में पर्यटन का योगदान 60 प्रतिशत है। मालदीव के लिए भारत की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मालदीव आने वाले विदेशी पर्यटकों में भारत सबसे टॉप पर है। यानी मालदीव की जीडीपी में भारतीयों का मुख्य योगदान रहता है।
ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के द्वीप लक्षद्वीप की यात्रा को इसलिए चुना, ताकि लक्षद्वीप में पर्यटन को प्रोत्साहन दिया जा सके। लक्षद्वीप के प्राकृतिक आकर्षण को भारतीयों ही नहीं, दुनिया के सामने लाया जा सके। इससे भारतीय लोग मालदीव की यात्रा के बजाय लक्षद्वीप जायेंगे और देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। पीएम मोदी के इस कदम से मालदीव सरकार की टेंशन बढ़ गई है। यही कारण है कि पीएम मोदी के लक्षद्वीप के दौरे को लेकर सरकार के कई मंत्री भारत विरोधी टिप्पणी करने लगे थे। बता दें कि लक्षद्वीप केंद्रशासित प्रदेश है, जो भारत के दक्षिणी बिंदु के समीप समुद्र के बीचों-बीच है।
भारत-मालदीव के कैसे रहे हैं रिश्ते ?
बता दें कि मालदीव में इससे पहले भारत समर्थित सरकार थी, जिसने तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भारत से सैन्य सहायता भी ली थी। पूर्व सरकार में भारत-मालदीव के करीबी रिश्तें अक्सर चीन को पसंद नहीं आते थे। नई मुइज्जु सरकार बनने में चीन ने भी अपने प्रभाव का प्रयोग किया है। अब नई सरकार मालदीव से भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है।