राजनैतिक संवाद को व्यक्तियों और आरोपों के बाहर सद्भावपूर्ण विश्वास युक्त संवाद से कैसे बदला जाय यह सामयिक चुनौती है: के.एन गोविंदाचार्य
मैं 2003 से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति से दूर हूँ। वर्तमान समय मे विपक्ष निस्तेज है, अक्षम है, साखहीन है। इसलिये विपक्ष की ओर से कोई भी बात कही जाती है तो उसका सरलता से अवमूल्यन हो जाता है। “Lebelling, Trolling के माध्यम से अन्य लोगों की असहमति के स्वर को कुंद कर दिया जाता है।” विपक्ष के सवालों का जवाब देना जरूरी नहीं समझा जाता।
दुर्भाग्य से अधिकांश बार मज़ाक के विषय स्वयं बन भी जाते हैं। “टीवी में बहस तो शोर-शराबे से अलग सार्थक भूमिका निभाती नही दिखती। ऐंकर कई बार पक्षधर की भूमिका मे रहता है।” “राजनैतिक कार्यकर्ता, अंधभक्त और अंधविरोधी के साथ मे विवेक, वस्तुपरकता, सत्यनिष्ठा, मानवीय संवेदनशीलता से दूर जा रहा है।” “यह लोकतंत्र में शिष्टता, मर्यादा को तिलांजलि दोनों और से ही दी जा रही है। ऐसी कटुता बढना अच्छी बात नही है।” “राजनैतिक संवाद को व्यक्तियों और आरोपों के बाहर सद्भावपूर्ण विश्वास युक्त संवाद से कैसे बदला जाय यह सामयिक चुनौती है।”