कतर में फांसी से कैसे बच पाएंगे 8 पूर्व नौसैनिक!, जानें भारत के पास है क्या कानूनी विकल्प
नई दिल्ली: कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है। पूर्व नौसैनिकों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। हैरानी की बात यह है कि सजा दे दी गई लेकिन आरोप का स्पष्ट रूप से खुलासा नहीं किया गया। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उन्हें इजरायल के लिए एक सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का दोषी ठहराया गया है। ये सभी अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज उपलब्ध कराती है। 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तारी हुई और 29 मार्च 2023 से ट्रायल शुरू हुआ था। 7 सुनवाई के बाद डेथ की सजा सुना दी गई। कंपनी के सीईओ को भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन उन्हें फीफा वर्ल्ड कप से पहले रिहा कर दिया गया। दोहा में भारतीय राजदूत ने इसी साल 1 अक्टूबर को इन पूर्व अधिकारियों से मुलाकात की थी। जब से यह खबर आई है, भारतीयों के मन में सवाल और चिंता है कि इन्हें कैसे बचाया जाएगा? भारत सरकार के पास क्या विकल्प बचे हैं?
भारत सरकार की ओर से बताया गया है कि इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। सजा पाए लोगों में पूर्व भारतीय नौसेना कर्मी कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं। पूर्णेंदु तिवारी को दोहा की सिफारिश पर प्रवासी भारतीय सम्मान भी मिल चुका है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि सभी पूर्व अधिकारियों का नौसेना में 20 साल तक का बेदाग कार्यकाल था और उन्होंने सैन्य बल में प्रशिक्षक सहित महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीयों को सभी राजनयिक परामर्श और कानूनी सहायता देना जारी रखेगा। विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे। भारत ने पहले भी उच्च स्तर पर कतर के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था लेकिन सफलता नहीं मिली। सरकार इस मामले में आरोप की प्रकृति और हर देश की अपनी न्यायिक प्रक्रिया को समझते हुए गल्फ स्टेट पर ज्यादा दबाव नहीं बना पाई। इन पूर्व अफसरों के परिवारों ने कतर के अमीर के पास पहले ही दया याचिका लगा रखी है। हां, कतर के अमीर चाहें तो सजा माफ कर सकते हैं। वह रमजान और ईद के दौरान माफी देने के लिए जाने जाते हैं।
कतर के साथ भारत के संबंध काफी संवेदनशील रहे हैं। रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर फोकस करते हुए भारत अब कतर के साथ संबंधों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 2016 में कतर गए थे। यह देश LNG का प्रमुख स्रोत है। वहां 8 लाख भारतीय रहते हैं जो उस देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। सजा पाए पूर्व नौसैनिकों के घरवालों के अनुसार उन्हें हिरासत के बारे में सूचित नहीं किया गया था। उन्हें तब पता चला जब कंपनी से संपर्क किया गया। कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद इतना जरूर हुआ था कि कैद में भारतीयों को एकांत कारावास से शिफ्ट कर जेल के वार्ड में रखा गया। कई जमानत याचिकाओं को कतर की अदालत ने खारिज कर दिया था। ऐसे में पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के सामने भारतीयों की जान बचाने की बड़ी चुनौती है।