तेलंगाना : तेलंगाना में कांग्रेस, बीआरएस को सीधी चुनौती देने में जुटी है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद तेलंगाना में कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। पार्टी को भरोसा है कि तेलंगाना चुनाव में भी जीत दर्ज करेगी। साथ ही पार्टी का दावा है कि वह तेलंगाना में भाजपा के बढ़ते ग्राफ को भी रोकने में सफल रहेगी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना से भाजपा ने चार सीट जीती थी। भाजपा कर्नाटक के साथ तेलंगाना में भी अपना जनाधार बढ़ा रही थी। वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी। पर 2019 के चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा चार सीट जीतने में सफल रही। पर कांग्रेस नेताओं का दावा है कि कर्नाटक में हार के बाद प्रदेश में भाजपा के हौसले पस्त हुए हैं।
तेलंगाना विधानसभा की कई सीट कर्नाटक से लगी हैं। इन क्षेत्रों में कर्नाटक का असर है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कर्नाटक में हार से भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा है। इससे पार्टी के लिए जगह बनी है और हम इस जगह को भरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। बकौल उनके चुनाव बीआरएस और कांग्रेस के बीच होगा।
एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में बीआरएस से मुकाबले के लिए पांच सूत्री रणनीति बनाई है। इसके तहत पार्टी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के अधूरे चुनावी वादे, भ्रष्टाचार और प्रदेश के निर्माण में कांग्रेस की भूमिका का उल्लेख शामिल हैं। पार्टी को भरोसा है कि कर्नाटक की तरह तेलंगाना में भी भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने में पार्टी चुनाव रणनीतिकार सुनील कानुगोलू भी मदद कर रहे हैं। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, डिजिटल सदस्यता अभियान में कर्नाटक देश में पहले और तेलंगाना दूसरे नंबर पर था। तेलंगाना में 55 लाख सदस्य बनाए हैं। पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में इसका लाभ मिलेगा।
कांग्रेस का मानना है कि कर्नाटक में हार के बाद दक्षिण भारत में हिंदुत्वकार्ड कमजोर हुआ है। ऐसे में भाजपा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन नहीं दोहरा पाएगी। वहीं, कर्नाटक चुनाव के बाद बीआरएस को भी मुस्लिम वोट छिटकने का डर है। पार्टी के एक नेता ने दावा किया कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में समर्थन बढ़ा है। कर्नाटक चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने उसी दिन तेलंगाना चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सु्खविंदर सिंह सुक्खू सहित कई बड़े नेता चुनावी रैलियों को संबोधित कर चुके हैं।
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रेटर हैदराबाद हैं। इस क्षेत्र में विधानसभा की करीब 24 सीट आती है, पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी खाता तक खोलने के लिए तरस गई थी। निगम चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था। इसलिए पार्टी इस क्षेत्र पर अभी से ध्यान दे रही है। पार्टी के कई बड़े नेता क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, ताकि इन सीट पर संगठन को मजबूत कर जीत की राह बना सके।