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किसान आंदोलन के कारण जनता की परेशानियों को लेकर मानव अधिकार आयोग ने 4 राज्यों को भेजा नोटिस, मांगा जवाब

नई दिल्लीः किसान आंदोलन के चलते पिछले करीब साल भर से उन इलाकों और आसपास रहने वाले लोगों के साथ ही प्रदर्शन स्थल वाले रास्ते का अमूमन उपयोग करने वाले नागरिकों के मानवाधिकार हनन को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी ने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को कुछ शिकायतें मिली थीं कि इन राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से 9,000 से अधिक उद्योग बंद हो गए हैं साथ ही यातायात व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. जिसकी वजह से आम जनता, मरीजों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं बॉर्डर बंद होने के चलते लोगों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ रही है जिसके चलते आम जनता की परेशानियां काफी ज्यादा बढ़ रही है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण यानी डीडीएमए और गृह मंत्रालय से आंदोलन में हो रहे कोविड नियमो के उल्लंघन पर भी रिपोर्ट मांगी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक उनको मिली शिकायतों में कहा गया है की मुख्य तौर पर 4 राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन की वजह से अनेक उद्योग/धंधे बंद हो चुके हैं. अव्यवस्था के चलते आम जनता के रोजाना के कामों पर तो असर पड़ रहा है इसके साथ ही यातायात व्यवस्था, स्वास्थ्य, रोजगार आदि प्रभावित होने से एक आम नागरिक के मौलिक अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं.

राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को नोटिस देने के अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने Institute of Economic Growth से 10 अक्टूबर तक किसान आंदोलन की वजह से उद्योगों पर पड़े प्रभाव पर रिपोर्ट देने को कहा है. मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क और दिल्ली विश्वविद्यालय से भी कहा है कि वो एक सर्वे करवाएं कि किसानों द्वारा लंबे समय से चल रहे आंदोलन के कारण लोगों की आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और दुर्बल व्यक्तियों पर इसका कितना प्रभाव पड़ रहा है इसका आकलन कर रिपोर्ट एनएचआरसी के सामने पेश करें.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक उनको मिली शिकायत में यह भी बताया गया है कि किसान आंदोलन की वजह से कुछ जगहों पर लोगों को उनके घरों से भी नहीं निकलने दिया जा रहा. इसके अलावा आन्दोलन स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इसके अलावा मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि किसान आंदोलन के एक प्रदर्शन स्थल पर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में झज्जर के डीएम से मृतक के परिजन को मुआवजे के भुगतान के संबंध में अब तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. इसलिए झज्जर के डीएम 10 अक्टूबर तक वो रिपोर्ट भी पेश करें.

ग़ौरतलब है कि पिछले साल 25 नवंबर से विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं और तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसके चलते ये तीनों ही रास्ते आम जनता के लिए बंद पड़े हैं.

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