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इंसानी बस्ती केवल इंसानों की???
स्तम्भ: आज केरल में एक बड़ी संवेदनहीन घटना घटित हुई। केरल के कुछ स्थानीय लोगो ने एक गर्भवती हथिनी को अन्नानास के बहाने पटाखा खिला दिया,जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी। देखा जाए तो इस समाचार को लेकर शायद ही कोई ही होगा जो दुखी ना हुआ होगा। पर अखबारों की सुर्खियों से परे ऐसी खबर काफी कुछ कहती हुई दिखाई देती है…
- कही जानवर के साथ नए प्रयोग और मजाक हमारे मनोरंजन के नए साधन तो नहीं बन रहे? वैसे भी आजकल रोचक वीडियो बनाने की जिस संस्कृति का विकास हो रहा है, उसमें ऐसे छुद्र मजाक की भरमार देखी जा सकती है।
- सवाल यह भी हैं कि क्या इंसानी संवेदनाएं वाकई अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंचती जा रही है। पहले किसी हत्या की घटना सुनने पर ही हम भावुक हो जाते थे, पर अब हत्याओं, घातक दुर्घटनाओं की वीडियो बिना किस भावनात्मक उतार चढ़ाव के सहजता से देखे जा रहे है। बढ़ता चाइल्ड रेप, मॉब लिंचीग, रोड रेज जैसी घटनाएं आखिर मानवता के किस रूप को उजागर कर रही है। अभी की ही एक घटना है एक अमेरिकी युवक की सांसे उखड़ रही थी, पर एक नस्लीय पुलिस को इससे कोई फर्क नही पड़ा कि उसकी जान जा रही है।
- वैसे तो सभी संस्कृतियो में एक बड़ी समृद्ध परंपरा रही है, जहाँ मानवीय जगत और पशु जगत के साहचर्य को प्रमुखता से महत्व दिया जाता रहा है और बात भारतीय संस्कृति की हो तो यहां तो पशुओं को देवी देवताओं के साथ जोड़ कर देखा जाता रहा है। यहाँ तो अनेक पशुओं की हत्या को पाप की श्रेणी में रखा जाता रहा है। पर आखिर क्यों पशुओं के खिलाफ क्रूरता आजकल बढ़ती ही जा रही है जबकी 21 वी सदी में पशु अधिकारों के संरक्षण की बाते बड़ी जोर शोर से होती है। चीन जैसे देश इस मामले में कितने आगे है पिछले कुछ महीनों से हम सब इसके गवाह है।
- मानव केंद्रित विश्व की धारणा में कही वन और वन्यजीव अपना स्थान खोते तो नही जा रहे। जिस तरह पशुओं के अवैध शिकार और व्यापार की घटनाएं बढ़ रही है। उससे जिस उपयोगितावादी समाज का निर्माण हो रहा है वह मानवीय सभ्यता की रोचकता और विविधता पर गम्भीर खतरा पैदा कर रही है।
- केरल जैसे राज्य में घटित इस घटना से यह भी पता चलता है कि साक्षरता और शिक्षा के अंतर को खत्म करना कितना जरूरी है। मूल्य आधारित शिक्षा के बिना हम मशीनी इंसान बनाते जाएंगे जो दक्ष तो होगा पर उसे खुद यह नहीं मालूम होगा कि उसके जीवन का क्या अर्थ और दिशा होनी चाहिए।
(लेखक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् हैं)