नई दिल्ली : हमारे आस-पास बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें उठने के बाद सुबह-सुबह बार-बार खांसी आती है। जबकि, दिन निकलने के बाद इसमें कमी आने लगती है। ऐसे लोग इस समस्या को सालभर महसूस कर सकते हैं या फिर बदलते मौसम में ये समस्या ज्यादा बढ़ने लगती है। दरअसल, ये कुछ बीमारियों का कॉमन लक्षण है। इसमें सुबह की हवा फेफड़ों की नलियों में जाकर इंफेक्शन को ट्रिंगर करती है या अंदर से खराश पैदा करती है। ऐसे में फेफड़ा इस ट्रिगर और एलर्जी के कारणों को बाहर निकालने की कोशिश करता है जिसकी वजह से सुबह-सुबह खांसी आने लगती है।
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के दौरान हमारे फेफड़ों के वायुमार्ग सिकुड़ जाते हैं, जिस वजह से सांस लेने में परेशानी आती है। सुबह की हवा या वातावरण में प्रदूषण के कुछ कण इसे ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाती और शरीर के अंदर ही रह जाती है। इसमें फेफड़ों के लिए गैस का आदान-प्रदान करना और ऑक्सीजन लेना कठिन हो जाता है और व्यक्ति ज्यादा खांसता है। सीने में घरघराट और सांस लेने में कठिनाई महसूस करता है।
अस्थमा में सुबह-सुबह वातावरण में उपस्थित पॉलेन (Pollen), वायु प्रदूषण या कुछ मौसम की स्थितियां इसे ट्रिगर करती हैं। इससे एलर्जी होती है और व्यक्ति तेजी से खांसने लगता है। बता दें कि अस्थमा के कारण वायुमार्ग में पुरानी सूजन और जलन होती है और सुबह-सुबह ये आसानी से ट्रिगर हो सकती है। इससे वायुमार्ग सिकुड़ जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है और व्यक्ति खांसने लगता है।
ब्रोंकाइटिस ब्रोन्कियल नलियों में सूजन की वजह से होता है, जो फेफड़ों तक हवा की यात्रा में मदद करती है। कभी-कभी, जब आप सुबह उठते हैं तो कुछ बैक्टीरिया या वायरस इस सूजन को ट्रिगर कर देते हैं। ऐसे में सीने में जकड़न की वजह से व्यक्ति खांसता है। हालांकि, गंभीर होने पर ये सूखी खांसी बलगम वाली खांसी के रूप में बदल सकती है।
जीईआरडी गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज खराब डाइजेशन से जुड़ी समस्या है। इसमें पेट का एसिड वापस फूड पाइप में जमा होने लगता है जिससे सीने में जलन और खट्टी डकार महसूस होती है। अगर आप रात में सोने से कुछ समय पहले ही भोजन करते हैं तो जीईआरडी की समस्या हो सकती है और ये गले या फेफड़ों में भी जलन पैदा कर सकता है, जिससे सुबह-सुबह खांसी हो सकती है। तो, इस तरह इन 4 समस्याओं में आपको बार-बार खांसी हो सकती है।