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मेरे देश के जवानों को शत शत नमन

पूनम चंद्रवंशी

कुर्बान

कुछ मेरे सपनों की पहचान थी
कुछ मां के सपनों का था मान
ना समझा ना जाना जो मिला वो माना
हसती आंखो से दामन मां का थामा

फिर उसी को अपना मुकद्दर है जाना
लो मेरे देशवासियों
ये जान भी तुम पे कुर्बान थी
मेरे खून की कीमत तुम्हारी उड़ान थी

कदमों में हिम्मत और ताल थी
चलते रहना खुद की और वर्दी की गुहार थी
सरसराहट पे आंखो का खुलना
आदेशो पे पलको का झुकना

यही तो मेरी अब सच्ची पहचान थी
लो मेरे देशवासियों,
ये जान भी तुम पे कुर्बान थी
मेरे खून के कतरो में तुम्हारी मुस्कान थी

घावों में भी दर्द को भूले रहना
पलको पे नींदों का झूले रहना
भूख से आंतो का सिकुड़ते रहना
माटी की सुगंध से खुद में जोश भरना

गोलियों की बौछारो को बिखेरते चलना
ज़िन्दगी यूहीं अब मां का सम्मान थी
लो मेरे देशवासियों,
ये जान भी तुम पे कुर्बान थी

मेरे लहू में कई लाडलों की जान थी
हर रात के साए में मौत से मिलते रहना
रुक रुक कर बेटी का चेहरा दिखते रहना
पिता की आवाज़ों का गूंजते रहना

बहन की राखी को बार बार सीते रहना और
पत्नी की नम आंखों में भीगते रहना
यही तो अब रौनके पैगाम थी
लो मेरे देशवासियों

ये जान भी तुम पे कुर्बान थी
नियोछावर तुम पर लहू की आन थी

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