मध्य प्रदेश

मैं पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन टीचर्स ने कभी डस्टर से मारा तो कभी कान मरोड़ा और बना दिया काबिल- IPS अमित सिंह

इंदौर/जबलपुर: मैं पढ़ाई में कमजोर था, ध्यान केंद्रीत नहीं कर पाता था। शिक्षकों ने कभी डस्टर से मारा तो कभी कान मरोड़ा, और मुझे काबिल अफसर बना दिया…जी हां शिक्षक दिवस पर देश के चर्चित और दबंग आईपीएस अफसर की ये लाइनें सहज ही याद आ जाती हैं। 2009 बैच के आईपीएस अफसर अमित सिंह ने अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपने शिक्षकों को दिया है।

शिक्षक दिवस पर साझे किए अनुभव
मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अमित सिंह अपनी बेदाग, दबंग और ईमानदार शैली के लिए मध्य प्रदेश की जनता के सामने एक आदर्श के रूप में माने जाते हैं। लाखों युवा अमित सिंह की कार्य शैली से प्रभावित होकर संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी में आगे बढ़ते हैं। लेकिन जब स्वयं अमित सिंह अपने जीवन के अनुभवों को बताते हैं तो यह भी साफ होता है कि किस तरह से एक औसत विद्यार्थी ने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास की बल्कि आज वे जिस मुकाम में हैं, उसकी कल्पना वे स्वयं भी नहीं करते थे। लेकिन जब सही मार्गदर्शन हो तो सफलता स्वयं कदम चूमने लगती है। ऐसा ही कुछ अमित सिंह के साथ भी घटित हुआ। शिक्षक दिवस के अवसर पर अमित सिंह ने अपने अनुभव को पंजाब केसरी से साझा किया साथ ही उन्होंने अपने उन शिक्षकों को भी याद किया जिनके बलबूते वे आज खाकी वर्दी धारण करके जन सेवा में जुटे हुए हैं। हम कह सकते हैं कि कभी प्रोफेसर के रूप में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बच्चों को इतिहास का ज्ञान देने वाले अमित सिंह आज अपराधियों के मन में कानून का खौफ पैदा कर रहे हैं।

शिक्षकों के आशीर्वाद से पहुंचा यहां तक
2009 बैच के आईपीएस अफसर वर्तमान में इंदौर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमित सिंह बताते हैं कि यहां तक पहुंचने का लक्ष्य बेहद कठिन था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि वे पढ़ाई में बेहद कमजोर थे और पढ़ाई की ओर ध्यान भी केंद्रित नहीं कर पाते थे। तब जो उनके शिक्षक दिनेश तिवारी, ओम प्रकाश मिश्रा और प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी थे,पढ़ाई के दौरान उन्हें डस्टर मार कर भी पढ़ाई की ओर आगे बढ़ाते थे, ये शिक्षक मेरा कभी कान मरोड़ कर, कभी डांट फटकार कर जीवन बदल चुके हैं। अमित सिंह बताते हैं कि जब ऐसा बर्ताव शिक्षक मेरे साथ करते थे तो उस वक्त मुझे बुरा लगता था लेकिन बाद में मुझे समझ में आया कि शिक्षकों का यह उद्देश्य मेरा जीवन सुधारने का था और उसी का परिणाम है कि धीरे-धीरे मेरे जीवन में बेहतर परिणाम आने लगे और मैं आगे बढ़ने लगा। जब मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आया तो प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी मुझे मिले उन्होंने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और सिविल सेवाओं की परीक्षा की ओर प्रेरित किया और उन्होंने ही कहा कि तुम कर सकते हो। इसके बाद मैं सिविल सेवा की तैयारी की और बेहद कठिन दौर में मैंने अपने अंतिम प्रयास में यह परीक्षा पास की और आज आईपीएस के रूप में मैं मध्य प्रदेश में जनता की सेवा में जुटा हुआ हूं।

ऐसा रहा अमित सिंह का अब तक का सफर
अमित सिंह प्रतापगढ़ जिले के निवासी हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने इतिहास विषय पर मास्टर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ही उन्होंने प्रोफेसर के रूप में भी सेवा दी। प्रोफेसर रहने के दौरान ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और अपने अंतिम प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्वालीफाई की और उन्हें मध्य प्रदेश कैडर एलॉट हुआ। अमित सिंह प्रशिक्षु काल से ही जनता के बीच बेहद लोकप्रिय रहे हैं। पहली पोस्टिंग उन्हें एसपी के रूप में टीकमगढ़ जिले की मिली। जहां पर उन्होंने शानदार परफॉर्म किया। इसके बाद उन्होंने रतलाम एसपी के रूप में सेवा दी और लोकप्रियता के चरम पर वे जबलपुर एसपी के रूप में रहे। जहां पर जिले में उन्हें दो बार एसपी के रूप में पोस्टिंग मिली। जनता से सीधा संवाद और 24 घंटे जनता के लिए एक्टिव रहना यही उनकी पहचान है। अगर कोई भी पीड़ित उनसे मिलने आता है तो वे स्वयं ही जनता के साथ निकल पड़ते थे। जबलपुर में यह स्टाइल जनता के बीच बेहद लोकप्रिय रहा। कोरोना काल में उन्होंने शानदार परफॉर्म किया। वर्तमान में वे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त इंदौर के रूप में पदस्थ हैं। जहां पर गुंडे बदमाशों की नाक में दम करके रखा हुआ है।

दबाव में नहीं करते कभी काम
अमित सिंह एक ऐसे आईपीएस ऑफिसर है जिनके ऊपर किसी भी प्रकार का दबाव कभी हावी नहीं हो पाया। जहां पर भी पोस्टेड रहे अपनी निष्पक्ष शैली से काम किया है। कभी भी किसी राजनेता के दबाव में भी नहीं आए। जो न्याय हित में होता है उसी स्तर पर भी आगे बढ़ते हैं। जनता के लिए बेहद ही सरल और अपराधियों के लिए बेहद ही कठोर शैली ने उनको मध्य प्रदेश का चर्चित और लोकप्रिय अधिकारी बना दिया है। उनकी सरलता देखिए कि वह आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं उसमें शिक्षक रहने के बाद ही उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। वे स्वयं प्रोफेसर रहे लिहाजा आज जनता के बीच में वही शैली सामने आती है।

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