IAS हत्याकांड मामले में हजरतगंज कोतवाल की बड़ी लापरवाही उजागर
लखनऊ: राजधानी के हजरतगंज इलाके में पिछले माह 17 मई को मीराबाई मार्ग स्थित राज्य अतिथि गृह के पास सड़क किनारे मिले आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की मौत के मामले में हजरतगंज कोतवाल आनंद शाही और जांच अधिकारियों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। मृतक के भाई का आरोप है कि हजरतगंज कोतवाल ने अनुराग के कपड़े जलवा दिए जबकि उन्हें बताया जाता रहा कि कपड़े सुरक्षित हैं। आरोप यह भी है कि थानेदार और जांच टीम ने बहुत लापरवाही की है। मृतक आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी ने बताया कि घटना के दिन उन्होंने ने अपने भाई के कपड़ों के बारे में जब थानेदार आनंद शाही से पूछा तो उन्होंने कहा कि कपड़े सुरक्षित हैं। मयंक का कहना है कि जब उन्होंने पोस्टमार्टम हॉउस में भी कपड़ों के बारे में पूछा तो बताया गया कि कपड़े पुलिस के पास सुरक्षित हैं जो आगे जांच के लिए भेजे जायेंगे। उन्होंने बताया कि कपड़ों के बारे में जब सीबीआई ने लखनऊ पुलिस से पूछा तो जांच टीम कपड़े नहीं दे सकी। उन्होंने आरोप लगाया है कि थानेदार ने कपड़े जलवा दिए हैं। आरोप यह भी है कि हजरतगंज थानेदार और जांच टीम लगातार उन्हें गुमराह कर रही है। मयंक का कहना है कि आनंद शाही एसएसपी दीपक कुमार के काफी करीबी हैं इसके चलते उनके खिलाफ कोई बोलने या कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। बता दें की आनंद शाही इससे पहले कैसरबाग कोतवाली में तैनात थे लेकिन एसएसपी दीपक कुमार ने बाद में उन्हें मलाईदार थाना कहे जाने वाले हजरतगंज कोतवाली का प्रभारी बनाया।
आईजी रेंज भी लगा चुके फटकार
आईएएस अनुराग तिवारी की मौत का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का हो चुका है। उनकी मौत के मामले में जब थानेदार की लापरवाही का पता आईजी रेंज लखनऊ जय नारायण सिंह को लगा तो उन्होंने थानेदार को कड़ी फटकार लगाई थी। लेकिन इसके बाद भी इस लापरवाह थानेदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अनुराग के परिजनों का आरोप है कि हजरतगंज पुलिस ने उनका साथ नहीं दिया और शव मिलने के बाद से ही लापरवाही की गई। उन्होंने हजरतगंज थानेदार पर कार्रवाई करने की मांग की है।
गौरतलब है कि आईएएस अनुराग तिवारी लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी के साथ उनके 19 नंबर कमरे में मीराबाई मार्ग गेस्ट हॉउस में रुके थे। 17 मई 2017 को सुबह करीब 6:30 बजे उनका शव मीराबाई मार्ग पर गेस्टहाऊस के निकट लगे ट्रांसफार्मर के सामने सड़क किनारे औंधे मुंह पड़ा मिला। राहगीरों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस को उनकी तलाशी के दौरान जेब से पर्स और पैसे मिले हैं। पुलिस ने जेब से मिले आईकार्ड के आधार पर उनकी शिनाख्त की। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मृतक अधिकारी के मुंह और सिर पर चोट के निशान थे।
आईएएस अधिकारी का शव मिलने की सूचना मिलते ही आईजी रेंज लखनऊ जय नारायण सिंह, एसएसपी दीपक कुमार सहित कई आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसएसपी ने बताया प्रारंभिक पड़ताल में यह सामने आया है कि उन्होंने मंगलवार की रात करीब 11 बजे अपने साथियों के साथ खाना खाया। आशंका है कि वह सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले होंगे और उनकी सड़क पर गिरने से मौत हो गई थी। पूछताछ में पता चला है कि वह मंसूरी में ट्रेनिंग लेने के बाद दो दिन पहले लखनऊ आये थे। फिलहाल मौत की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है। सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है।