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ICMR का दावा, कोरोना से ठीक होने वालों के लिए वैक्सीन की सिर्फ एक ‘डोज’ ही काफी

नयी दिल्ली. ICMR के अध्ययन के अनुसार कोरोना संक्रमण (Corona Pandemic) से स्वस्थ्य होने वालों को अब इसके वैक्सीन (Corona Vaccine) की एक ही खुराक पर्याप्त है। दरअसल संक्रमण के चलते इन लोगों में एंटीबॉडी विकसित होती हैं जिन्हें फिर कोविशील्ड वैक्सीन की मात्र एक खुराक देने के बाद ही बढ़ाया जा सकता है। ऐसे लोगों के लिए दो खुराक देने की कोई आवश्यकता नहीं है।

दरअसल ऐसी सलाह वैज्ञानिकों ने असम और जम्मू-कश्मीर के चिकित्सीय संस्थानों में अध्ययन के आधार पर दी है। बता दें कि कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर अभी तक इस तरह का अध्ययन पहले कभी भी सामने नहीं आया है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रमण से ठीक होने वालों के लिए कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन की एक ही खुराक पर्याप्त है। उन्होंने तो यहां तक भी कहा है कि अगर इस सलाह पर भारत सरकार ध्यान देती है तो वैक्सीन की कमी के बीच टीकाकरण में तेजी लाई जा सकती है क्योंकि दूसरी लहर के दौरान देश की एक बड़ी आबादी इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में आई है।

जानकारी के मुताबिक ICMR के असम स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और असम मेडिकल कॉलेज के इस संयुक्त अध्ययन को मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन के लिए 121 लोगों का चयन किया गया जिनमें 46 लोगों में सीरो पॉजीटिविटी पाई गई थी। जबकि अन्य 75 लोगों में यह निगेटिव थी। बता दें कि सीरो पॉजीटिविटी का मतलब एक व्यक्ति के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने से है।

इस अध्ययन के दौरान दोनों ही समूह को कोविशील्ड की मात्र 1-1 खुराक दी गई। इसके बाद 35 दिन तक उनका सहीं प्रकार से फॉलोअप लिया गया और फिर दूसरी खुराक दी गई जिसका फिर अगले 35 दिन तक फॉलोअप लिया गया। जब इन सभी परिणामों की समीक्षा की गई तो यह पाया गया कि जिन लोगों में पहले संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी थीं उन्हें कोविशील्ड की मात्र एक खुराक लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी हो गईं। ऐसे लोगों को फिलहाल दूसरी खुराक लेने की आवश्यकता नहीं है। जबकि अन्य समूह के लोगों के लिए 2 खुराक की आवश्यकता पाई गई है।

ICMR के वैज्ञानिक डॉ। विश्वज्योति बोरकाकोट्य ने ओने अध्ययन में बताया कि बीते 2 जून तक देश में 3।4% आबादी ही कोरोना के खिलाफ इम्युन (एंटीबॉडी बनना) हो पाई है। गौरतलब है कि वर्तमान में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता काफी सीमित है और इसकी मांग काफी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में कोरोना टीकाकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से यह अध्ययन किया गया। इसमें यह बताया कि अध्ययन में शामिल लोगों की औसतन आयु 33।7 वर्ष थी। इसमें 45।4% पुरुष और 54।6% महिलाएं थीं। हालांकि उनका यह भी खाना है कि ऐसे अध्ययन को बड़े स्तर पर भी किया जाना चाहिए।

इस अध्ययन के दौरान पहले संक्रमित हो चुके लोगों को जब कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई तो कुछ दिन बाद उनके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी पाई गईं थी, लेकिन एक निश्चित अंतराल के बाद जब उन्हें दूसरी खुराक दी गई और उसका भी जरुरी फॉलोअप लिया गया तो पता चला कि दूसरी खुराक से पहले की अपेक्षा कोई बदलाव नहीं हुआ। जो लोग वैक्सीन लेने से पहले कभी संक्रमित नहीं हुए थे उन 75 लोगों की तुलना में पहले संक्रमित होने वाले 46 लोगों में पहली खुराक के बाद पर्याप्त एंटीबॉडी मिले हैं। इस प्रकार अब ICMR का अध्ययन के अनुसार कोरोना संक्रमण से स्वस्थ्य होने वालों को अब इसके वैक्सीन की एक ही खुराक की जरूरत है।

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