नई दिल्ली। मार्च 2020 में कोविड महामारी की शुरुआत के आने के बाद से बहुत सारे बच्चे अपने माता या पिता अथवा माता-पिता दोनों को खो चुके हैं। इन बच्चों के सामने अब स्कूली शिक्षा पूरी करने का संकट मंडराने लगा है। ऐसे बच्चों की शिक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से ऐसे बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अगर निजी स्कूल इन बच्चों की फीस माफ नहीं कर रहे हैं तो राज्य उनकी स्कूल फीस का बोझ वहन करना चाहिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है “ऐसे बच्चों के लिए, जो मार्च 2020 के बाद माता-पिता अथवा माता या पिता दोनों में से किसी एक खो चुके है, राज्य सरकारें निजी स्कूलों को चालू शैक्षणिक वर्ष के लिए फीस माफ करने के लिए कहेंगी। यदि निजी संस्थान इस तरह की छूट को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो राज्य सरकारें शुल्क का भार वहन करेंगी।” न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने रेखांकित किया कि संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत ऐसे बच्चों की शिक्षा को आसान बनाना राज्यों का दायित्व है। पीठ ने कहा कि राज्यों को बच्चों की शिक्षा को सुगम बनाने का दिशा में काम करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा “सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा संवैधानिक अधिकार है जिसकी गारंटी भारत के संविधान का अनुच्छेद 21ए देता है। बच्चों की शिक्षा के लिए सुविधा उपलब्ध करना राज्य का कर्तव्य औऱ दायित्व है। हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य असहाय बच्चों की शिक्षा जारी रखने के महत्व को समझता है।” साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया है कि यह सहायता केवल उन्हीं बच्चों के लिए है जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है। बाल कल्याण समितियों को उन बच्चों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है जिन्हें राज्यों से देखभाल और संरक्षण या फिर वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा “हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि पूछताछ पूरी होने के बाद, सीडब्ल्यूसी उन बच्चों की पहचान कर सकती है जिन्हें राज्यों से देखभाल और सुरक्षा और वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है। ऐसे बच्चों को उन लाभों को देने की आवश्यकता नहीं है जो सरकार द्वारा घोषित किए गए हैं। यह केवल उन्हीं बच्चों के लिए है जिन्हें अधिनियम के अनुसार देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जानी है।”
केंद्र सरकार ने बताया है कि 2600 अनाथ बच्चों को पीएम केयर फॉर चिन्ड्रेन योजना के तहत पंजीकृत किया गया है। इनमें से 418 आवेदनों को जिलाधिकारी ने मंजूरी दे दी है।