नई दिल्ली : वास्तु देवता की संतुष्टि भगवान श्रीगणेश की आराधना के बिना नहीं हो सकती। भगवान गणपति का वंदन कर वास्तुदोषों को शांत किया जा सकता है। जिस घर में नियमित भगवान श्रीगणेश की आराधना होती है वहां वास्तु दोष उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
माना जाता है कि एक दंत वाले श्रीगणेश का ध्यान करने से जटिल से जटिल कार्य एक ही बार में पूरे हो जाते हैं। भगवान श्रीगणेश की सूंड का ध्यान करने से दूरदर्शिता के साथ काम करने की शक्ति मिलती है। भगवान श्रीगणेश के चार भुजाओं में धारण किए हुए शस्त्रों का ध्यान करने से किसी भी कार्य को चार सूत्रों से करने की क्षमता मिलती है। जिस घर के मुख्य द्वार पर श्रीगणेश की मूर्ति या तस्वीर होती है उस घर में रहने वाले लोगों की दिनों दिन उन्नति होती है।
घर में सीढ़ियों के नीचे किसी भी देवी-देवता की मूर्ति या कलैंडर नहीं लगाना चाहिए। सर्वमंगल की कामना के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना अनुकूल रहती है। भगवान श्रीगणेश का चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक या लड्डू और चूहा अवश्य होना चाहिए। श्रीगणेश की बहुत सारी मूर्तियां घर में न रखें। पूजा स्थान पर एक साथ गणेश जी की तीन मूर्तियां कभी भी न रखें। शयन कक्ष में भगवान की मूर्ति बिलकुल न रखें और श्रीगणेश की तो बिलकुल नहीं।