अगर विधानसभा सत्र बुलाया गया तो नहीं होगा सोशल डिटेसिंग का पालन: सुरेश
लखनऊ: पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कोरोना के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं के समाधान के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को योगी सरकार ने वाजिब नहीं बताया है। जिसके जवाब में उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने शुक्रवार को कहा कि अगर सत्र बुलाया गया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सामाजिक दूरी रखने का निर्देश दिया है उसका पालन करना असम्भव हो जायेगा।
सुरेश खन्ना ने कहा कि अगर विधानसभा सत्र बुलाया जाता है, तो इसका मतलब होगा लोगों का जमावड़ा। ऐसे करने से कोई भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा हम नेताओं के लगातार संपर्क में हैं, मेरा मानना है कि सरकार ने सभी स्तरों पर सतर्कता और ईमानदारी दिखाई है। आवश्यकता पड़ने पर निर्णय किए गए। जरूरतमंदों की मदद की जा रही है। गेहूं की फसल की कटाई की जा रही है। कोरोना का मुकाबला करने के लिए सरकार सभी प्रयास कर रही है।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति तथा कोरोना के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान पर कारगर कदम उठाने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा का विशेष सत्र तत्काल बुलाया जाना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लम्बी चलने वाली है। अभी तक राज्य सरकार केवल अधिकारियों के भरोसे है। विपक्ष संकट के समाधान में ऐसे सुझाव दे सकता है जिससे प्रभावी नियंत्रण होने में आसानी हो। इसके लिए विधानसभा का विषेश सत्र बुलाने में दिक्कत नहीं हो सकती क्योंकि पहले भी गतवर्ष अक्टूबर 3 को राष्ट्र संघ के विकास लक्ष्यों पर और नवम्बर 26 को संविधान दिवस पर विशेष अधिवेशन बुलाए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है? उनका नौकरशाही पर पूर्णतः भरोसा ठीक नहीं। लाॅकडाउन की लम्बी अवधि में जनता की तकलीफें बढ़ी है। किसान पर बे-मौसम बरसात और ओलावृष्टि की मार पड़ी है। उसकी फसल को खरीद के लिए क्रय केन्द्र नहीं खुले हैं। दूसरे प्रांतों से पलायन कर बड़ी संख्या में श्रमिक आए हुए हैं। उद्योग धंधे बंद होने से बेरोजगारी बढ़ी है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि अभी तक लाखों श्रमिक एवं छात्र दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति गम्भीर है। रोजी-रोटी के अभाव में हालात बिगड़ने की आशंका है। लोकतंत्र में जनहित सर्वोपरि है। सत्ता और विपक्ष की संयुक्त भूमिका से ही प्रदेश के समक्ष उत्पन्न गम्भीर समस्याओं का निदान हो सकता है।