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लगातार रहता है सर्दी-ज़ुकाम, तो हो सकता है साइनोसाइटिस, जानें उपाय

नई दिल्ली। सर्दियों ने दस्तक दे दी है जिसका असर आपको अपने चारों तरफ़ नज़र आ ही रहा होगा। मौसम बदलते ही कई बीमारियां बड़ी ही तेज़ी से अपने पैर पसारती हैं जैसे वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, खांसी आदि। लेकिन क्या आप जानते हैं जिसे आप कभी-कभी मामूली सर्दी-जुकाम समझकर इग्नोर कर देते हैं कई बार वो साइनोसाइटिस की प्रॉब्लम भी हो सकती है।

अब आप सोच रहे होंगे कि साइनोसाइटिस की पहचान कैसे की जा सकती है। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि साइनोसाइटिस के लक्षण और उससे बचने के घरेलू तरीके।

नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के अंदर नम हवा की खाली जगह हैं, जिसे साइनस कहते हैं साइनस पर उसी श्लेष्मा झिल्ली की परत होती है, जैसी कि नाक और मुंह में। जब किसी व्यक्ति को जुकाम तथा एलर्जी हो जाता है, तो साइनस टिशूज़ अधिक श्लेष्म बनाते हैं एवं सूज जाते हैं साथ ही साइनस के निकलने वाली जगह बंद हो जाती है। नाक में बना हुआ श्लेष्म इस साइनस में फंस जाता है। बैक्टीरिया, कवक एवं वायरस वहां बढ़ने लगते हैं जिसके कारण आपको साइनोसाइट्स की प्रॉब्लम हो जाती है।

साइनोसाइटिस के लक्षण
हर वक्त बीमार महसूस होना,
साइनस से जुड़ा हुआ दर्द।
सिरदर्द बना रहना,
लगातार खांसी आना और रात में बदत्तर हो जाना,
सांस लेने में तकलीफ़ महसूस होना,
नाक बहना और सुड़सुड़ाना
किसी भी चीज़ की खुशबू या बदबू आना,
कभी हल्का तो कभी तेज़ बुखार बना रहना,
हर वक्त थकावट महसूस होना,
गले में खराश बनीं रहना,
सांस से बदबू आना,
आंखों के पीछे दबाव महसूस होना।
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अगर आपके अंदर साइनोसाइटिस का एक भी नक्षण नज़र आता है तो सबसे पहले ठंडी चीज़ों से दूरी बना लें।
साइनस से ग्रसित व्यक्तियों को धुंए और धूल से बचना चाहिए।
साथ ही साथ आप उबलते हुए पानी की भाप या सिकाई भी कर सकते हैं, इस दौरान भूलकर भी पंखा और कूलर ना चलाएं।
रीढ़ की हड्डी पर बला तेल या महानारायण तेल की मालिश करें।
अगर आपको भी साइनोसाइटिस है तो सुबह-शाम अपनी नाक के दोनों छिद्रो में गाय के दूध से बना शुद्ध देसी धी लगाइए।
रात में सोने से पहले आग में भुने हुए अनार के रस में अदरक का रस मिलाकर पिएं।
रोज़ 30 मिनट प्राणायाम करें।
किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलें और उससे इलाज कराएं।

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