उत्तर प्रदेशराज्यवाराणसी

पत्रकारिता में बुराइयों की धारा रही तो अच्छाइयों की पतवार भी : नवीन जोशी

पत्रकारों के अनुभव के साथ पत्रकारिता पर बात करती पुस्तक ‘नवीन धुन’ का लोकार्पण

लखनऊ : वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी पर आधारित पुस्तक ‘नवीन धुन’ का विमोचन रविवार को गोमती नगर स्थित होटल ‘कसाया इन’ में किया गया। ग्रे पैरट पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित और वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका शिखा एस द्वारा संपादित इस किताब में 30 से अधिक पत्रकारों के अनुभवों को साझा किया गया है। किताब का प्राक्कथन वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मृणाल पांडेय ने लिखा है। पुस्तक की लेखिका शिखा एस ने कहा कि यह किताब इस बात का सबूत है कि अच्छाई आपको दूर तक ले जाती है। नवीन जोशी को रिटायर हुए 10 साल हो चुके हैं लेकिन इस हॉल में लोगों की मौजूदगी बताती है कि वह अब भी लोगों के दिलों में हैं। नवीन जोशी एक ऐसे दौर में संपादक बने, जब एक ढर्रे पर पत्रकारिता की जा रही थी। उन्होंने किसी से न डरते हुए अपनी एक अलग राह बनाई और संवेदनशीलता और सरोकारों से लैस खबरों को बढ़ावा दिया, अखबार को जिम्मेदार बनाया।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नकवी ने कहा कि आज के दौर में जब सूचनाओं का सैलाब है, तब सूचना के वास्तविक महत्व और सत्यता को समझना जरूरी है। यह एक बुनियादी सीख है कि जो सूचना सत्य नहीं होती, उसके सिर्फ दो ही निहित उद्देश्य होते हैं। पहला ठगना और दूसरा धोखे में रखना। पत्रकारिता का मूल काम सूचना देना है, लेकिन पत्रकार की अपनी विचारधारा या बाहरी परिस्थितियों से प्रेरित होकर की गई रिपोर्टिंग, समाज के लिए नुकसानदायक है।

वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में बुराइयों की धारा रही तो अच्छाइयों की पतवार भी। दुष्यंत कुमार का शेर है, मैं भी तो अपनी बात लिखूं अपने हाथ से, मेरे सफे पे छोड़ दो थोड़ा सा हाशिया। मेरा मानना है कि स्थितियां जैसी भी हों, हर संपादक के पास एक हाशिया होता है। उस हाशिये पर आप क्या लिखते हैं, वह अहम है। मैंने उसी हाशिये पर लिखने की कोशिश की। जब स्थितियां कठिन होती हैं, जब राजनीतिक मोर्चे पर नहीं भिड़ सकते तो सामाजिक स्थितियों पर काम करें।

‘ग्रे पैरट पब्लिशर्स’ के प्रकाशक अविनाश चंद्र ने कहा कि जब सुनील दुबे जी पर ऐसी ही किताब निकाली गई थी तो उसी समय यह सोच बनी कि क्यों न कुछ ऐसे जीवित हिन्दी संपादकों पर किताब निकाली जाए जिन्होंने लीक से हटकर काम किया। यह उस सिरीज की पहली किताब है, हम ऐसे संपादकों पर आगे भी काम करेंगे। इस मौके पर आईएएस पार्थ सारथी सेन शर्मा, सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सिंह ‘वत्स’, पूर्व सूचना आयुक्त और वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन शाही, वरिष्ठ पत्रकार नागेन्द्र जी, दिनेश पाठक, दया शंकर शुक्ल सागर, संजीव तिवारी, पवन शंखधर समेत तमाम पत्रकारगण मौजूद रहे।

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