नई दिल्ली: कोरोना के मरीजों में तरह-तरह के साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। अब डॉक्टरों ने उन मरीजों को टीबी की जांच की सलाह दी है जिन्हें कोरोनावायरस संक्रमण के बाद लंबे समय तक खांसी चल रही है। डॉक्टरों का कहना है कि अधिक दिनों तक खांसी चले और बुखार भी हो तो टीबी की जांच अवश्य कराएं ताकि यह पता चल सके कि शरीर में टीबी की बीमारी तो नहीं पनप रही है।
तीसरी लहर के संक्रमण के दौरान ऐसे कई मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने कोरोना की संशोधित गाइडलाइन दी है। आईसीएमआर का कहना है कि कोरोना से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं इसलिए टीबी का अटैक हो सकता है। टीबी अथवा क्षय रोग उन लोगों को ज्यादा पकड़ता है जिनके भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। कोरोना से लड़ते-लड़ते शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है इसलिए कोरोना से रिकवर होने के बाद टीबी जैसी बीमारियां जकड़ सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि खासकर वे लोग जो उम्र दराज हैं एवं वह लोग जिन्हें मधुमेह, दिल की बीमारी, हार्ट में ब्लॉकेज, एचआईवी, फेफड़े-लिवर-किडनी व मोटापे की बीमारियों के अलावा टीबी की बीमारी है अथवा कभी रही है उन्हें पूरी जांच करानी चाहिए। जिसमें टीबी की जांच भी शामिल हो। जिन लोगों ने स्टेरॉयड थेरेपी ली है उन्हें भी टीबी की जांच आवश्यक है।