आजकल बच्चों को कपड़े से बनी लंगोटी पहनाने का चलन करीब-करीब खत्म सा होने लगा है। कुछ महीनों को होते ही मांएं अपने नौनिहाल को डायपर पहनाना शुरू कर देती हैं। कई घंटों तक डायपर पहने रहने पर बच्चों को रैशेज की समस्या होने लगती है। इससे बच्चे असहज महसूस करते हैं और परेशान होकर रोते रहते हैं या चिड़चिड़े हो जाते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे को अक्सर डायपर पहनाती हैं तो इन बातों को ध्यान में जरूर रखें…..
- अगर आप वाकई बच्चे को इस समस्या से बचाना चाहती हैं तो आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा कि बच्चा साफ रहे और उसके किसी भी अंग में नमी न रहे।
- यदि बच्चा शौच करे तो फौरन उसका डायपर बदल दें, देर न करें। इसके बाद बच्चे के नितंबों को अच्छे से धोएं और सूखे मुलायम कपड़े से पोंछकर साफ करें। इसके बाद बच्चे के नितंबों पर नारियल का तेल या अच्छी डायपर रैशेज क्रीम लगाएं।
- कोशिश करें कि बच्चे की साइज से बड़ा व ढीले डायपर का उपयोग करें। हमेशा बच्चे का डायपर साफ-सुथरा और सूखा रखें।
- हर चार घंटे बाद डायपर बदलें। यदि रात को सोते समय भी डायपर पहना रही हैं तो ये जिम्मेदारी ध्यान से निभाएं।
- संभव हो तो कभी कभी बच्चे को घर पर ही दादी-नानी की बनाई लगोंट का जो नरम कपड़ों की बनी होती है, उसे पहनाएं।
- डायपर पहनाने से पहले बच्चे के नितंबों को अच्छे से रुई की मदद से साफ करें। इसके बाद कोई ऑयल लगाकर ही डायपर पहनाएं।
- कभी कभी बच्चे को कुछ देर बगैर डायपर के रहने दें। इससे बच्चा आराम महसूस करेगा।