mumbai : बच्चों का पेट और इम्यून सिस्टम नाजुक होता है, ऐसे में नए नए पोषक तत्त्व खाना कई बार उन्हें बीमार कर सकता है. अंडा प्रोटीन और फैट का अच्छा सोर्स होता है, बचपन में इसका सेवन सेहतमंद होता है, लेकिन यही हाई प्रोटीन के कारण बच्चों को अंडे से एलर्जी होने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं. एग एलर्जी बच्चों में कभी कभी देर से भी असर दिखाती है, जिसके कारण एलर्जी की वजह समझने में समय लग जाता है.
माता-पिता को एलर्जी हो या मां अंडे का सेवन करके दूध पिलाए तो भी शिशुओं में इसके होने का खतरा रहता है. अंडे में ओवोमुकोइड, ओवलब्यूमिन, एपोविटिलिन और फॉस्विटिन जैसे प्रोटीन होते हैं, जिनके कारण एलर्जी होती है. आइए जानते हैं, बच्चों में किन लक्षणों से हो सकती है एग एलर्जी की पहचान…
एग एलर्जी के लक्षण
मॉम्स जंक्शन के अनुसार आंखों का लाल पड़ना
बुखार, नाक बहना और छोटी सांसें भरना
मुंह और गले में सूजन
पेट में दर्द, डायरिया या उल्टी की परेशानी
स्किन पर रैशेस हो जाना
हार्ट पल्स धीमी या बहुत तेज़ हो जाना
ये लक्षण दिखने पर बच्चों को ट्रीटमेंट देना ज़रूरी हो जाता है नहीं तो ये एग एलर्जी बच्चों में दूसरी एलर्जी और अस्थमा का कारण बन सकती है. एग एलर्जी होने पर नीचे दिए गए उपचार बच्चे को आराम पहुंचाते हैं.
बच्चों को एलर्जी होने पर समय से डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए. डॉक्टर अक्सर एलर्जी में एंटीहिस्टामाइन और एपिनेफ्रीन जैसी दवाइयां देते हैं, जिनसे परेशानी जल्दी ठीक हो जाती है.
बच्चे को एग एलर्जी के लिए वैक्सीनेशन भी लगवाए जा सकते हैं. ज़रूरत और बच्चे की हेल्थ के हिसाब से डॉक्टर इन्फ्लूएंजा, टाइफस या मीजल्स-मंप्स-रूबेला वैक्सीन लगाते हैं.
बच्चे के खाने पीने का ध्यान रखें, अंडे और अंडे जैसे प्रोटीन वाले किसी भी फूड आइटम का सेवन बच्चे को ना कराएं. इम्यूनोथेरेपी से भी एग एलर्जी कंट्रोल में आती है. इसमें अंडे का थोड़ा थोड़ा डोज देकर बच्चे के सैल्स को अंडे का आदि बनाया जाता है, जिससे एलर्जी की समस्या खत्म की जा सकती है.