विपक्ष के चक्रव्यूह में फंसे इमरान
कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान में जिस प्रकार से राजनीतिक अस्थिरता के हालात बन रहे हैं, वह निश्चित रूप से पाकिस्तानी सरकार के प्रधानमंत्री इमरान खान के समक्ष बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। भयानक त्रासदी के दौर में गुजर रहे पाकिस्तान के सामने उत्पन्न हुई इस राजनीतिक पेचीदगी के कारण ऐसा लगने लगा है कि क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान पाकिस्तानी चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं। वर्तमान में इमरान खान के समक्ष ऐसे हालात निर्मित हो गए हैं, जिसमें एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई है। अगर इमरान प्रधानमंत्री पद पर बने रहते हैं तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और बिगड़ती जाएगी, लेकिन यह इमरान सरकार के कारण नहीं है। इमरान खान के साथ यह संयोग जुड़ गया है कि वे इस समय प्रधानमंत्री हैं।
पाकिस्तान की इन खराब होती स्थितियों के बीच सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सरकार उन अति वांछित वैश्विक आतंकी आकाओं के विरोध में वैसे कदम उठाने से परहेज कर रही है, जिनके खिलाफ विश्व के बड़े देशों की ओर से मांग की जा रही है। उल्लेखनीय है कि हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान की शरण में है, और इमरान की सरकार इनके विरोध में किसी भी प्रकार की कठोर कार्यवाही करने का साहस नहीं जुटा पा रही है। वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान का मौजूदा राजनीतिक संकट उसकी खुद की देन है, जिसमें वह लगातार फसता जा रहा है। इसके साथ ही इमरान सरकार की विवशता यह है कि उनकी पार्टी तहरीक ए इंसाफ को सत्ता तक पहुंचाने में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इन आतंकी आकाओं का समर्थन मिला। पाकिस्तान में इमरान और आतंकियों की यह कथित जुगलबंदी ही सरकार के सामने कठिन परिस्थितियों का निर्माण कर रही है।
पाकिस्तान की ओर से कितनी भी सफाई दी जाए, लेकिन यह कई बार प्रमाणित हो चुका है कि उसके देश से आतंकी गतिविधियों का संचालन किया जाता है। इतना ही नहीं विश्व के कई देशों में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान की ओर से आर्थिक सहायता भी की जाती है। इसी के चलते एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अभी ग्रे सूची में डाल रखा है, लेकिन भविष्य में पाकिस्तान के ऊपर काली सूची में आने का गंभीर खतरा भी मंडरा रहा है। एफएटीएफ एक वैश्विक संस्था है, जो आतंक के लिए आर्थिक सहयोग किए जाने वाली संस्थाओं की निगरानी करती है। इस संस्था ने आतंकियों की फंडिंग पर कार्रवाई करने की पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी है। आज पाकिस्तान के आर्थिक हालात सबसे खराब हैं। इसके पीछे का बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि पाकिस्तान दूसरे देशों से ऋण लेकर अपनी आर्थिक व्यवस्था सुधारने का प्रयास करता रहा है, लेकिन आतंकी फंडिंग के चलते उसके ग्रे सूची में आने के कारण कई बड़े देशों ने पाकिस्तान को उधार देने से मना कर दिया और अगर पाकिस्तान काली सूची में आता है तो अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार उसे कोई भी देश ऋण नहीं देगा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की दशा और ज्यादा बिगड़ती जाएगी।
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पाकिस्तान की राजनीति के बारे में यह आम धारणा बन चुकी है कि वहां के शासक भ्रष्टाचार के चलते बहुत धन एकत्रित करने का प्रयास करते हैं। इमरान सरकार भी इस आरोप से अछूती नहीं है। पाकिस्तान का विपक्ष भी यही कह रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने आम जनता को गरीबी की खाई में धकेल दिया है। जनता के को अपना घर चलाने के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान की वास्तविकता भी यही है कि वहां या तो राजनेता ऐशोआराम का जीवन व्यतीत कर रहा है या फिर जनता को भ्रमित करने वाले आतंकी पैसा बटोरने में लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान के राजनीतिक दल और आतंकी सरगना भय दिखाकर आम जनता से संप्रदाय के नाम पर धन एकत्रित कर रहे हैं। जिसके चलते आम जनता और ज्यादा गरीब होती जा रही है और पैसे वाले और ज्यादा अमीर हो रहे हैं। आज पाकिस्तान में अमीर और गरीब की खाई इतनी चौड़ी हो गई है कि उसके भरने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।
पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक हालातों के बीच वहां का राजनीतिक विपक्ष आक्रामक मुद्रा में आ चुका है। हम जानते हैं कि लगभग तीन माह पूर्व जनता की नब्ज को पहचान चुके चर्चित राजनेता फजलुर्रहमान ने पाकिस्तान के कई शहरों में इमरान सरकार के विरोध में बड़ा अभियान चलाकर राजनेताओं की नींद खराब कर दी थी। फजलुर्रहमान अभी भी सरकार के खिलाफ हमलावर हैं। इसके अलावा मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी सरकार के विरोध में खुलकर मैदान में आ चुकी हैं। हालांकि यह लड़ाई आम जनता के लिए कम केवल सत्ता प्राप्त करने की ज्यादा लगती है। लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है इन सभी ने पाकिस्तान में इमरान खान के विरोध में वातावरण निर्मित कर दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के विरोध में विपक्ष द्वारा ऐसे चक्रव्यूह का ताना बाना बुना है कि वे उससे जितना बाहर निकलने का प्रयास करते हैं, उतना ही फसते चले जा रहे हैं। आज पाकिस्तान में इसी कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बन चुका है। विपक्ष के झांसे में आकर प्रधानमंत्री इमरान खान जनता की कसौटी पर अविश्वसनीय होते जा रहे हैं। बदली हुई परिस्थितियों में पाकिस्तान का विपक्ष जोरशोर से नए चुनाव कराने की मांग कर रहा है। इसके लिए सांसद और विधायकों के सामूहिक त्याग पत्र देने की भी कवायद हो रही है। अगर ऐसा होता है तो सरकार को न चाहते हुए भी चुनावों का सामना करना पड़ सकता है। जो प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए यकीनन टेडी खीर ही होगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के समक्ष एक बड़ी दुविधा यह भी है कि उनकी पार्टी के पास सरकार चलाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं है। वह कुछ अन्य दलों के समर्थन से सरकार चला रहे हैं। जिसमें कुछ दल ऐसे भी हैं जो आतंकी संगठनों का समर्थन करते हैं। लेकिन इमरान इनके विरोध में कोई कठोर कदम नहीं उठा सकते। जिसके पीछे सत्ता को बचाए रखना भी कारण है, लेकिन विपक्ष ने भंवरजाल फैला दिया है। अब देखना यही होगा कि इमरान खान इसमें फसते हैं या फिर बाहर निकलते हैं।
(लेखक राजनीतिक चिंतक और विचारक हैं)