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पाकिस्तान को तालिबान से भी लगा झटका, नहीं पूरे हो रहे इमरान खान के अरमान

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर जब तालिबान ने कब्जा किया तो पाकिस्तान में कई लोगों ने अपनी खुशी व्यक्त की थी। हालांकि धीरे-धीरे उन्हें यहां से भी निराशा ही मिली है। घर में बढ़ते आतंकवाद के कारण उनके उत्साह में कमी आ रही है। हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारी तालिबान शासन को समर्थन और सुरक्षा प्रदान करना जारी रखे हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार को उम्मीद थी कि तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध के कारण अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को लेकर उसकी चिंताएं कम होंगी।

कनाडा स्थित एक थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी ने कहा कि चिंता कम होने के बजाय हाल के महीनों में आतंकवादी हमलों में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान का दावा है कि कई आतंकी हमलों की योजना अफगानिस्तान के अंदर छिपे आतंकवादियों ने बनाई थी। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जहां पाकिस्तान नई तालिबान सरकार की मदद करना चाहता है, वहीं उसे पाकिस्तान के लिए बढ़ते सुरक्षा और आर्थिक जोखिमों से भी जूझना होगा, जो तालिबान शासन के आने से पैदा हुए हैं। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज (पीआईपीएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में 2021 में पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है।

अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण के बाद की आतंकी घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पीआईपीएस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान में परिवर्तन आतंकवादी समूहों से निपटने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों में मदद नहीं कर रहा है। इसके अलावा टीटीपी, जो 2020 के अंत तक काफी कमजोर हो गया था, फिर से संगठित हो गया है। पूरे पाकिस्तान में जबरन वसूली रैकेट चला रहा है। टीटीपी अफगानिस्तान के सिम कार्ड का इस्तेमाल संपन्न पाकिस्तानी व्यापारियों को रंगदारी मांगने के लिए कर रहा है। पीआईपीएस के अनुसार, टीटीपी अकेले 87 हमलों के लिए जिम्मेदार था। इन हमलों में 158 लोग मारे गए हैं। 2020 की तुलना में यह 84 प्रतिशत की वृद्धि है।

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