कनाडा में भी जमकर हो रही है धर्म के नाम पर सियासत, ट्रूडो सरकार पर भारी पड़ रहे हैं मुस्लिम और यहूदी
नई दिल्ली: भारत में आजकल लोकसभा चुनाव में जहां पर धर्म के नाम पर सियासी माहौल गरमाया हुआ है, वहीं कनाडा भी धर्म की सियासत से अछूता नहीं है। यहां पर भी सिख, मुस्लिम हिंदुओं और यहूदियों के वोट बैंक पर जमकर सियासत होती है। कनाडा में अगले साल आम चुनाव होने हैं और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपनी सत्ता को बचाने के लिए कई तरह के ताने बाने बुनने में लगे हुए हैं। एंगस रीड इंस्टीट्यूट के एक हालिया सर्वे ने जस्टिन ट्रूडो की बेचैनी बढ़ा दी है, जिसमें कहा गया है कि इजरायल और हमास युद्ध की वजह से उनकी लिबरल पार्टी की लोकप्रियता कम हुई है।
यहूदी और मुस्लिमों के बीच फंसे ट्रूडो
चुनावी साल से पहले प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हालत ऐसी है कि वह यहूदी और मुस्लिमों के बीच फंस गए हैं और संतुलन नहीं बना पा रहे हैं। एंगस रीड इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष शची कर्ल के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लिबरल्स की राजनीति में प्रवासियों की अहमियत है। ऐसे में यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं लगती है। यहूदी प्रवासी कह रहे हैं कि सरकार हमास की निंदा करने और कनाडा में यहूदी विरोधी भावना को रोकने में विफल रही है। मुस्लिम आबादी मान रही है कि ट्रूडो सरकार ने गाजा में इजरायली रक्षा बलों के हमलों की खुलकर आलोचना नहीं की है।
केवल 33 फीसदी यहूदी ट्रूडो के पक्षधर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्वे में कहा गया है कि इजरायल और हमास युद्ध के दौरान ट्रूडो ने प्रवासियों के बीच तक अपनी बात नहीं पहुंचाई थी, इससे लोगों में नाराजगी है। इसलिए जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी की लोकप्रियता देश के मुस्लिमों और यहूदियों के बीच कम हुई है। हालांकि कुछ समय पहले तक इन समुदायों की पहली पसंद ट्रूडो बने हुए थे। शची कर्ल का कहना है कि कि लिबरल्स की राजनीति में प्रवासियों की बहुत अहमियत रही है। ऐसे में यह स्थिति ट्रूडो के लिए चिंताजनक है। सीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में 42 फीसदी यहूदी मतदाताओं की पसंद कंजर्वेटिव पार्टी है, जबकि 33 फीसदी यहूदी मतदाताओं का झुकाव ट्रूडो की लिबरल पार्टी की ओर है।
मुस्लिम भी सरकार से नाखुश
सर्वे कहता है कि ट्रूडो की पार्टी कनाडाई मुसलमानों के बीच न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एन.डी.पी.) से 41 के मुकाबले 31 प्रतिशत से पीछे है। कनाडा में 2015 में मुस्लिम मतदाताओं ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बहुमत की सरकार बनाने में मदद की थी, लेकिन गाजा में इजरायल और हमास युद्ध ने अब स्थिति को बदल दिया है।
हिंदुओं और सिखों की पसंद कंजर्वेटिव पार्टी
मुसलमानों, यहूदियों के अलावा ट्रूडो की पार्टी को हिंदुओं और सिखों का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। हालांकि, विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे और कंजर्वेटिव पार्टी ईसाइयों, हिंदुओं और सिखों की पहली पसंद हैं। एंगस रीड इंस्टीट्यूट के सर्वे में कहा गया कि 53 फीसदी हिंदुओं और 54 फीसदी सिखों ने कंजर्वेटिव पार्टी को पसंद किया है।