चैत्र में ही ज्येष्ठ जैसा हाल, पारा 43 पार परिंदे भी बेहाल
आमतौर पर जब हम किसी से मिलते हैं तो पूछते हैं क्या हाल है लेकिन इन दिनों जिन लोगों को खुले में निकलना पड़ रहा है, उनसे यह सवाल पूछने की गलती मत कर दीजिएगा। दो दिन से पारा 43 डिग्री के आसपास घूम रहा है और गर्मी इतनी कहर ढा रही है कि तमतमाते सूरजदेव के चलते लोगों का भेजा फ्राई हो चुका है। हलांकि गर्मी से बचने के लिए ताजे फल और सब्जी लेने की सलाह दी जाती है लेकिन आपने कभी सोचा है कि गर्मी से इंसानों का भेजा फ्राई हो रहा है तो फलों का क्या हाल हो रहा होगा। आपके घरों में पहुंचने के पहले फल किस हाल में होते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि गर्मी से बचने के लिए जो फल खा रहे हैं वह भी गर्मी के चलते खतरनाक बन जाएं। गर्मी इतनी भीषण है कि लोगों को चैत्र में ही वैशाख-ज्येष्ठ का अहसास हो रहा है। आर्द्रता कम होने और पछुआ चलने से चेहरा झुलस जा रहा है।
–सुरेश गांधी
फिलहाल, चिलचिलाती धूप ने आम आदमी के जीवन की रफ्तार को रोक दिया है। चुभती चिलचिलाती धूप में ऐसा महसूस हो रहा है कि आसमान से अंगारे बरस रहे हैं। दस कदम धूप में चलना भी आसान नहीं लग रहा। हालांकि, घरों से निकलने के पहले लोग अपने स्तर से बचाव का इंतजाम कर रहे हैं। टोपी, गमछा लेना नहीं भूल रहे हैं, लेकिन उससे फायदा होता नहीं दिख रहा है। शनिवार को सीजन में अब तक का सबसे गर्म दिन रहा। आज का पारा 43 डिग्री के पार था। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 23 डिग्री का अंतर है। इस सीजन में यह अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है। मौसम का रुख यही बना रहा तो आगे 45 डिग्री तक तापमान जल्द ही हो सकता है। हाल यह है कि सुबह से ही सूर्यदेव की धरती पर पड़ने वाली पहली किरण के साथ ही तापमान बढ़ने लगा था और दोपहर के समय तो गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए। मौसम वैज्ञानियों की माने तो तापमान अभी और बढ़ेगा। मतलब साफ है पसीने छुड़ा रही गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है।
इस बार अप्रैल के पहले पखवारें में इतना तापमान पहुंचने से संकेत हैं कि गर्मी अभी और भी रिकॉर्ड तोड़ेगी। दोपहर के समय बाजारों में भी चहल-पहल कम रही। पार्क भी सूने ही रहे और शाम के समय ही पार्कों में चहल-कदमी शुरू हुई। खास यह है कि जहां लोग गर्मी से बचने के लिए तरणताल में तैरने का आनंद ले रहे हैं वहीं परिन्दे भी पानी में अठखेलियां कर गर्मी से बचने का जतन करते नजर आ रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान के बढ़ने की बड़ी वजह लगातार प्रदूषण बढ़ने और ग्लोबल वार्मिंग है। दूसरे हर साल लगातार बरसात का कम होना है। इसके अलावा इस साल मार्च के माह में पश्चिमी विक्षोभ भी कम आए। अगर पश्चिमी विक्षोभ आते तो साइक्लोन बनने की वजह से तापमान में हल्की गिरावट हो सकती थी। पश्चिमी विक्षोभ न आने से ही तापमान बढ़ रहा है। फिलहाल कोई पश्चिमी विक्षोभ है भी नहीं है। ऐसे में तापमान अभी बढ़ेगा। 20 से 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गर्म हवाएं भी चलेगी।
गर्मी का आतंक कुछ ऐसा है कि सुबह ही लोगों को लू की लपटें महसूस होने लगी हैं। आलम ये है कि गर्म हवाओं के बीच घर से निकलना मुश्किल हो जा रहा है। लोग मुंह ढंक कर बाहर निकल रहे हैं और सड़कों पर सन्नाटा दिख रहा है। गर्मी ने आम जनजीवन को बेहाल कर दिया है। दिन चढ़ने के साथ ही मौसम का पारा भी चढ़ने लग रहा है। सौराष्ट्र से चलने वाली हवाओं के कारण वातावरण में नमी का असर कम होने से तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पर्यटकों से गुलजार रहने वाले गंगा घाट पर दिन चढ़ने के साथ ही सन्नाटा पसर जा रहा है। गर्मी के कारण गलियों से लेकर घाटों की रौनक फीकी पड़ने लगी है। गर्मी के कारण पर्यटकों का आगमन कम होने के कारण नाविक, पंडे और टूरिस्ट गाइड की आजीविका भी प्रभावित हो रही है। राजघाट से अस्सी तक लगभग हर घाट पर कुछ ऐसा ही नजारा है। शाम ढलने के बाद ही घाटों पर लोगों की चहल-पहल बढ़ रही है। वहीं शहर की सड़कों पर भी आम दिनों की अपेक्षा लोगों का आवागमन कम हो रहा है।
पछुआ हवा के गर्म थपेड़ों के चलते दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है। देर शाम तक गर्म हवाएं चल रही है। लू के थपेड़े से लोग बेहाल हैं। मौसम के इस बदलाव से किसान भी चिंतित हैं। चिलचिलाती गर्मी से लू की बीमारियां भी बढ़ने लगी है। सबसे अधिक परेशानी स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की है। तापमान रोज नए रिकार्ड बनाने पर उतारू है। महीने भर के बाद से प्री मानसूनी बरसात के चलते कुछ राहत मिल सकती है। वहीं अगले पखवारे से अंधड़ का दौर भी शुरू हो सकता है। वातावरण में नमी का असर कम होने के कारण बादलों की सक्रियता नहीं हो रही है। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों तक मौसम का यही रुख बना रहेगा। दरअसल 11 अप्रैल तक हीट वेव का असर होने की वजह से गर्मी लोगों को झुलसा रही है। मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार पूरे सप्ताह गर्मी अपना असर दिखाएगी। भीषण गर्मी का असर गंगा के जलस्तर में भी दिख रहा है। घाटों से गंगा काफी दूर हो गईं हैं। इस समय वाराणसी में गंगा का जलस्तर सूखकर 59.35 मीटर पर आ गया है। जबकि, जनवरी में 65 मीटर और सितंबर में 70 मीटर तक पहुंच जाता है।
चिकित्सकों ने दी सावधानी बरतने की सलाह
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि फिलहाल हीट वेव नहीं है, लेकिन बढ़ते तापमान से गर्मी तेज होने लगी है। ऐसे में सावधानी बरतनी जरूरी है। इस मौसम में लू के प्रकोप से उल्टी-दस्त व फ्लू के पीड़ितों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है। बुजुर्ग, बच्चे व बीमार व्यक्तियों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। ओआरएस, घर का बना पेय जैसे लस्सी, नींबू पानी व छाछ आदि का उपयोग करते रहना चाहिए।
बढ़ते तापमान से दूध के दाम में इजाफा
बढ़ते तापमान का असर दूध उत्पादन पर भी पड़ा है। प्रतिदिन दो से तीन हजार लीटर दूध का उत्पादन कम हो रहा है। हालांकि, इसका असर किसी उत्पाद पर अभी नहीं पड़ा है। जबकि किसानों की आय प्रभावित हुई है। दूध की कीमतों में उछाल से भी आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है. पिछले महीने से अमूल व मदर डेयरी दूध 2 रुपये प्रति लीटर तक महंगे हो चुके हैं. जबकि सट्टी में 60 से 70 रुपये लीटर बिक रहा है।
रसोई गैस ने बिगाड़ा किचेन का बजट
पूरा देश महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. डीजल पेट्रोल के दाम में आग लगी है, तो रसोई गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. यानी पूरे देश में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. महंगाई का आलम यह है कि देश में दुनिया का सबसे महंगा घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर बिक रहा है. घरेलू बाजार में करेंसी की परचेजिंग पावर पैरिटी की बात करें, तो अभी भारत में प्रति लीटर एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है. भारत में परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से बात करें तो एलपीजी 3.5 डॉलर प्रति किग्रा के भाव से बिक रहा है। या यूं कहे घरेलू गैस इन दिनों 1017 रुपये में बिक रहा है।
नजर उतारने वाले नींबू-मिर्ची पर महंगाई की नजर
दुनियाभर में कच्चे तेल के बढ़ते दामों और लगातार बिगड़ते मौसम का असर लोगों की जेब पर पड़ना शुरू हो चुका है। आलम यह है कि जरूरत के सामानों के दाम आसमान छूने लगे हैं। फिर चाहे वह आयात की जाने वाली चीजें हों या घरेलू उत्पादन वाली। कुछ ऐसा ही हाल खाद्य पदार्थों का भी हो रहा है। नींबू, मिर्च से लेकर हरी सब्जी तक बीते दिनों में सब कुछ महंगा हुआ है। आलम तो यह है कि नींबू इस वक्त सेब और अनार जैसे फलों से भी मंहगा हो गया है। मौजूदा समय में नींबू की कीमतें 400 रुपये तक पहुंच गई हैं। इसके अलावा कई सब्जियां लेने के बाद मुफ्त मिलने वाली मिर्च-धनिया के दाम भी 100-200 रुपये प्रति किलो के दायरे में पहुंच गए हैं। बाजार में इन दिनों नींबू की कीमतें आसमान छू रही हैं. थोक बाजार में भी नींबू 150 रुपए किलो तक बिक रहा है. थोक बाजार से आम लोगों तक पहुंचते-पहुंचते नींबू की कीमत 300 से 350 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. इससे आम आदमी हर तरफ से घिरा हुआ महसूस कर रहा है. सामानों की ये महंगाई कार, घर, सीमेंट तक सीमित नहीं है. आम आदमी को सब्जी से लेकर ईंधन तक की महंगाई से दो-चार होना पड़ रहा है. गर्मियों के मौसम में नींबू के दाम आसमान छू रहे हैं. इसकी कीमत 300-400 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच चुकी है।
जीरा, धनिया, मिर्च भी महंगी
हाल के समय मेंजीरा, धनिया और मिर्ची तक के रेट में 40-60 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है. वहीं, ठमंदे का भाव 120 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गया है। फूल गोभी का भाव अब 80 रुपये प्रति किग्रा पर पहुंच गया है जो कुछ दिन पहले तक 40 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर बिक रहा था। रिटेल मार्केट में तोरई का भाव 100 रुपये प्रति किग्रा, भिंडी की कीमत 100 रुपये प्रति किग्रा, करेला का दाम 100 रुपये प्रति किग्रा, मिर्च की सब्जी 70 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गई है। हालांकि, आलू और प्याज की कीमत अभी कंट्रोल में है, जिससे आम लोग थोड़े रिलीफ में हैं। पिछले कुछ दिनों में इन वस्तुओं की कीमतों में इजाफा लागत बढने की वजह से हुआ है। 18 दिन में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10-10 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिली है। इसके अलावा सीएनजी की कीमतों में काफी अधिक वृद्धि हुई है। इससे माल ढुलाई महंगी हुई है।
नींबू की पैदावार में कमी
देश के चार से पांच राज्यों में मुख्य तौर पर नीबू की पैदावार होती है जिनमें गुजरात अहम है. गुजरात में नींबू की फसल काफी अच्छी हुआ करती थी लेकिन पिछले साल पहले गुजरात और महाराष्ट्र में तौकते नाम का चक्रवाती तूफान आया था जिसकी वजह से नींबू की फसल को काफी नुकसान हुआ था काफी पेड़ टूट गए थे. जिसकी वजह से गुजरात और महाराष्ट्र से नींबू बाजार में ना के बराबर आ रहा है. अब नींबू सिर्फ और सिर्फ आंध्र प्रदेश से ही बाजार में आ रहा है जिसकी वजह से नींबू इतना महंगा हो गया है. साथ ही साथ पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों का भी असर है लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों का उतना असर नहीं है जितना गुजरात से नींबू का बाजार में ना आ पाना है. खुदरा विक्रेता सोमनाथ पांडेय बताते हैं कि माल की शॉर्टेज है जिसकी वजह से नींबू महंगा होता जा रहा है. हम लोगों से छोटे दुकानदार नींबू खरीदते हैं हम उन्हें 280 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं वो आगे जाकर अपने हिसाब से लोगों को बेचते होंगे. ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं जिसे 2 किलो की जरूरत है वो 1 किलो ही ले जा रहा है काम धंधा चौपट है।
दाम बढ़ने की वजह
सब्जी मंडियों में बीते 5 दिन में नींबू की कीमतें 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी हैं। नींबू कारोबारियों के मुताबिक, नींबू के दाम बढ़ने की वजह पिछले साल गुजरात में आया तूफान है। तूफान की वजह से नींबू के फूल झड़ गए। साथ ही नींबू की झाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा दो और राज्य तेलंगाना-आंध्र प्रदेश भी नींबू की पैदावार में बड़ा स्थान रखते हैं। वहां भी चक्रवाती तूफानों की वजह से बारिश का ऐसा असर रहा कि नींबू की फसल नष्ट होती चली गई। नींबू के पेड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचा। इसके अलावा दो साल से कोरोना काल में नींबू की सही कीमत न मिलने के कारण किसानों ने इस बार नींबू की पैदावार में कोई खास दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार बाजार में नींबू की आवक काफी कम है। इस समय बीजापुर, गुंटूर, हैदराबाद, विजयवाड़ा से रोजाना 25 से 30 गाड़ियां ही नींबू निकलती हैं। पिछले साल इस समय रोजाना 100 से 150 गाड़ियां निकलती थीं। भारत में पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों का असर सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट पर भी पड़ा है। फिलहाल ढुलाई की कीमतों में करीब 15 फीसदी तक के इजाफे की बात कही जा रही है। इसका असर न सिर्फ नींबू के दामों में देखा जा रहा है, बल्कि कई और मौसमी सब्जियां भी लगातार महंगी हो रही हैं। इसके अलावा भारत में रमजान और कुछ अन्य त्योहारों की वजह से नींबू की डिमांड में भी बढ़ोतरी हुई है। कम आवक और नींबू खरीद के लिए मची इस मारामारी ने नींबू का दाम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी तरफ गर्मी का सीजन आते ही सॉफ्ट डिंक्स से जुड़े उद्योगों ने नींबू उत्पादकों को बड़े ऑर्डर देना शुरू कर दिया है, ताकि लेमन डिंक्स बनाने में नींबूओं का इस्तेमाल किया जा सके। सप्लाई और डिमांड के इस अंतर ने भी नींबू की कीमतों में जबरदस्त इजाफा किया है।