
दिल्ली । सर्दी की दस्तक के साथ दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर जहर उगलने लगी है। शनिवार सुबह जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के अधिकांश मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआई 300 से 430 के बीच रिकॉर्ड किया गया, जबकि नोएडा और गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर इससे भी अधिक खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया। कई स्थानों पर एक्यूआई 450 के पार दर्ज किया गया, इनमें गाजियाबाद का लोनी इलाका शामिल है। इस प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में गंभीर दिक्कतें और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ गई हैं।
दिल्ली के आरके पुरम में एक्यूआई 372, रोहिणी में 412, विवेक विहार में 424, वज़ीरपुर में 427, सोनिया विहार में 369, श्री अरबिंदो मार्ग पर 305 और आनंद विहार में 420 मापा गया। शादिपुर का एक्यूआई 298 रहा, जो अन्य इलाकों की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन फिर भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। नोएडा की हालत और खराब है। सेक्टर 125 में एक्यूआई 430, सेक्टर 1 में 396, जबकि सेक्टर 62 में 343 दर्ज किया गया। कई क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण का यह स्तर लंबे समय तक रहने पर दमा, फेफड़ों की बीमारी, दिल की समस्या और बच्चों-बुजुर्गों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।
डॉक्टरों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि सुबह और देर शाम खुली हवा में घूमने से बचें, घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें। प्रदूषण नियंत्रण विशेषज्ञों का मानना है कि हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट के पीछे वाहनों का प्रदूषण, निर्माण कार्य, औद्योगिक धुआं, कूड़ा जलाना और मौसम में नमी जैसी वजहें प्रमुख हैं। ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषक जमीन के नजदीक जमा हो रहे हैं जिसके चलते एक्यूआई तेजी से बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन ने वायु आपात स्थिति से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं। निर्माण कार्यों को सीमित करने, स्मॉग टावर सक्रिय रखने और सड़कों पर पानी का छिड़काव तेज करने पर जोर दिया गया है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक प्रदूषण के मूल स्रोतों को नियंत्रित नहीं किया जाता, हालात में बड़े बदलाव की संभावना मुश्किल है।



