महंत नरेंद्र गिरि खुदकुशी मामले में आनंद गिरि को इलाहाबाद HC से बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज
नई दिल्ली : साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) की खुदकुशी मामले के मुख्य आरोपी आनंद गिरि (Anand Giri) को आज 9 सितंबर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने आनंद गिरि को किसी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आनंद गिरि जमानत पर जेल से छूटने के बाद केस के गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें जमानत दिया जाना कतई उचित नहीं होगा.
अदालत ने आनंद गिरि की अर्जी को जमानत के लिए फिट केस नहीं माना. अदालत के फैसले के पीछे सीबीआई की वह दलील भी बड़ा आधार बनी, जिसमें कहा गया था कि उसने चार्जशीट भले ही दाखिल कर दी है, लेकिन वह इस केस में फरदर इन्वेस्टिगेशन भी कर रही है. यानी वह इस केस में अभी आगे भी जांच कर रही है और अगर जरूरत पड़ती है तो वह दूसरी चार्जशीट भी दाखिल कर सकती है. तकरीबन 9 महीने तक चली सुनवाई के पूरा होने के बाद अदालत ने 7 सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था और फैसला सुनाने के लिए आज का दिन तय किया था. जमानत केस से जुड़ा फैसला जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने सुनाया.
आनंद गिरि इन दिनों यूपी की चित्रकूट जेल में बंद हैं. महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट के आधार पर आनंद गिरि की गिरफ्तारी हुई थी और उनके खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी. महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में पिछले साल 20 सितंबर को फंदे पर लटका हुआ पाया गया था. घटना के कुछ देर बाद ही हरिद्वार से आनंद गिरि की गिरफ्तारी की गई थी और उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर प्रयागराज लाया गया था. आनंद गिरि 22 सितंबर 2021 से जेल में बंद हैं. इसी साल 18 अगस्त को उन्हें प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल से चित्रकूट जेल ट्रांसफर कर दिया गया था.
आनंद गिरि पर अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करते हुए उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है. इस मामले की जांच देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई ने की थी. सीबीआई ने इस मामले में आनंद गिरि समेत 3 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. सेशन कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आनंद गिरि ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. जिसमें खुद को जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिए जाने की अपील की थी.
अदालत में बहस के दौरान सीबीआई और यूपी सरकार ने आनंद गिरि की जमानत अर्जी का विरोध किया. वहीं आनंद गिरि की तरफ से यह दलील दी गई कि उनके खिलाफ सीबीआई को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है. सिर्फ शक के आधार पर नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा था. वह घटना के पिछले 6 महीने से प्रयागराज कभी आए ही नहीं थे. फोन और सोशल मीडिया के जरिए भी उनका अपने गुरु से कोई संपर्क नहीं होता था. ऐसे में उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं.
इस मामले में एफआईआर कराने वाले महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य स्वामी अमर गिरि और पवन महाराज ने इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. जिसमें कहा था कि उन्होंने पुलिस को सिर्फ मौखिक सूचना दी थी. लिखित तौर पर किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की थी. पुलिस ने अपनी तरफ से उनके नाम एफआईआर दर्ज की है और वह अपनी FIR को वापस लेना चाहते हैं. जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आनंद गिरि के समर्थकों को बड़ा झटका लगा क्योंकि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद थी कि अदालत से उन्हें राहत मिल जाएगी और आनंद गिरि जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे.
आज यानी 10 सितंबर को ही महंत नरेंद्र गिरि की पहली बरसी भी है, जिस पर प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में एक बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में देश भर से सैकड़ों लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है. इस कार्यक्रम के लिए देशभर के तमाम साधु संतों के साथ ही यूपी और एमपी के मुख्यमंत्रियों के साथ ही सपा मुखिया अखिलेश यादव और नेता शिवपाल यादव को भी न्योता दिया गया है. पहली पुण्यतिथि पर कल श्रद्धांजलि सभा होगी और इसके बाद भंडारे का आयोजन होगा.