‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने दी बड़ी सीख, बोले- चोरी हुई मूर्तियों को वापस लाना भारत मां के प्रति हमारा प्रधान दायित्व
नई दिल्ली. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) को संबोधित किया है। इस ख़ास मौके पर PM मोदी ने कहा है कि, इस महीने की शुरुआत में भारत, इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को फिलहाल लाने में सफल हुआ है। दरअसल ये धरोहर है अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा। ये मूर्ति कुछ साल पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही कुछ साल पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। बता दें कि,हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में हमें ये प्राप्त हुई।
आज और क्या क्या कहा PM मोदी :
आज PM मोदी ने कहा कि, “हमारे इतिहास में देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विवधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नज़र आता है। अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं। कभी इस देश में, तो कभी उस देश में ये मूर्तियां बेचीं जाती रहीं। न उनको उसके इतिहास से लेना देना था, श्रद्धा से लेना देना था। इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत मां के प्रति हमारा भी कुछ दायित्व है।”
उन्होंने कहा कि, “हमारे इतिहास में, देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विवधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नज़र आता है।”
इसके बाद उन्होंने कहा कि, “तंजानिया के भाई-बहन किलि पॉल और उनकी बहन नीमा ये बहुत चर्चा में हैं और मुझे पक्का भरोसा है आपने भी उनके बारे में जरूर सुना होगा।उनके अंदर भारतीय संगीत को लेकर एक जुनून है, एक दीवानगी है और इसी वजह से वे काफी लोकप्रिय भी हैं।”
वहीं आज PM मोदी ने कहा कि, “कुछ दिन पहले ही हमने मातृभाषा दिवस मनाया।जो विद्वान लोग हैं, वो मातृभाषा शब्द कहां से आया इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसे लेकर बहुत academic input दे सकते हैं7जैसे हमारे जीवन को हमारी मां गढ़ती है, वैसे ही मातृभाषा भी हमारे जीवन को गढ़ती है।”
साथ ही उन्होंने कहा कि, “आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि, विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है।”
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि, “भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है।साल 2019 में, हिन्दी, दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे क्रमांक पर थी। आज के दिन, यानी, 27 फरवरी को मराठी भाषा गौरव दिवस भी है |’सर्व मराठी बंधु भगिनिना मराठी भाषा दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा।”
आयुर्वेद के विषय में उन्होंने कहा कि, पिछले सात वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है। इसी महीने की शुरुआत में Ayush Start-up चैलेंज शुरू हुआ है। इस चैलेंज का लक्ष्य इस क्षेत्र में काम करने वाले Start-ups को identify करके उन्हें सपोर्ट करना है।
‘मिशन जल थल’ को लेकर उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि, “एक बार जब लोग मिलकर के कुछ करने की ठान लें, तो वो अद्भुत चीजें कर जाते हैं ‘मिशन जल थल’ नाम का एक जन आंदोलन कश्मीर के श्रीनगर में चल रहा है।यह श्रीनगर की झीलों और तालाबों की साफ-सफाई और उनकी पुरानी रौनक लौटाने का एक अनोखा प्रायास है।”
इसके साथ ही असम पर जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि, “कोकराझार, असम में Morning walkers के एक समूह ने ‘स्वच्छ और हरित कोकराझार’ मिशन के तहत प्रशंसनीय पहल की है।विशाखापट्नम में पॉलीथिन के बजाए कपड़े के थैलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।मुंबई के Somaiya College के Students ने स्वछता के अपने अभियान में सुन्दरता को भी शामिल कर लिया है।”
देश की बेटियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्होंने कहा कि, “आज चाहे Skill India हो, Self Help Group हो, या छोटे बड़े उद्योग हो, महिलाओं ने हर जगह मोर्चा संभाला हुआ है। सेना में भी बेटियां अब नई और बड़ी भूमिकाओं में ज़िम्मेदारी निभा रही हैं। गणतंत्र दिवस पर हमने देखा कि आधुनिक fighter planes को भी बेटियाँ उड़ा रही हैं।”
इसके बाद उन्होंने कहा कि, “कल 28 फरवरी को ‘National Science Day’ है।मैं सी.वी. रमन जी के साथ उन सभी वैज्ञानिकों को आदरपूर्वक श्रद्दांजलि देता हूं।मैं, अपने Start-ups को भी कहूंगा कि आप अपने कौशल और Scientific Character का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण से जुड़े कार्यों में भी करें।”
कोरोना युद्ध पर उन्होंने कहा कि, “आज, मैं, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की भी सराहना करना चाहूंगा।उनके कड़े परिश्रम की वजह से ही Made In India वैक्सीन का निर्माण संभव हो पाया, जिससे पूरी दुनिया को बहुत बड़ी मदद मिली है।”
गौरतलब है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 से इस कार्यक्रम की शुरूआत की थी। वे जनता के साथ रूबरू होते है। इस दौरान वे भारत सरकार की भूमिका स्पष्ट करते है। कभी कभी मार्गदर्शन भी करते है। प्रधानमंत्री का रेडियो संबोधन हर महीने के आखिरी रविवार को होता है।