छत्तीसगढ़राज्य

27 % आरक्षण मामले में CM बघेल ने PM मोदी को लिखा पत्र, कहा- न्याय की भावना से दें मंजूरी

रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा चुनाव के पहले ED और IT के बाद अब आरक्षण और जातिगत जनगणना के मुद्दे को फिर छेड़ दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। बघेल ने बिलासपुर में कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा आरक्षण विरोधी है। इस पर धरमलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए तंज कसा है। उनके मुताबिक जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, सीएम ने एक ही अच्छा काम किया है। वो है प्रधानमंत्री को पत्र लिखना और अपनी जवाबदारी से बचना। छत्तीसगढ़ में सारे विकास कार्य केंद्र के भरोसे चल रहे हैं।

भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा में हम लोगों ने आरक्षण बिल लाया है। इसमें 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग और चार प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। सब मिलाकर राज्य में 76 फीसदी आरक्षण व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव पारित किया था। हमने बिल दो दिसंबर से पारित किया है लेकिन अभी तक राजभवन से स्वीकृति नहीं मिली है।

मुख्यमंत्री के मुताबिक बिहार में जातिगत जनगणना किया जा रहा है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की गई है। इसमे केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल तुषार मेहता विरोध कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। तभी तो रेलवे में भर्ती नहीं निकल रही। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा जा रहा है। एसईसीएल और एनएमडीसी के स्वामित्व वाले खदानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।

CM बघेल ने लिखा है – राज्य विधानसभा द्वारा दिसंबर 2022 में सर्वसम्मति से पारित विधेयक में राज्य में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों तथा ई.डब्ल्यू.एस. के लोगों के लिये क्रमशः 32, 13, 27 एवं 4 प्रतिशत आरक्षण लागू करने संबंधी विधेयक पारित किया गया था। दुर्भाग्य से वह विधेयक अभी तक राजभवन में अनुमोदन हेतु लंबित है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा है-समाज की बड़ी आबादी को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने से उनके मन में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है। राज्य सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी अन्य पिछड़ा वर्गों के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न मिल पाना समझ से परे है।

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