चुनौतियों के मुकाबले नई रणनीतियों की तलाश और स्थायी योजना बनाने की होगी कवायद
लखनऊ: इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, उत्तराखंड, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), लखनऊ और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर), लखनऊ के सहयोग से प्रगतिशील बागवानी कान्क्लेव 2019 का आयोजन 8 से 10 दिसंबर तक आईआईएसआर सभागार में होगा. प्रगतिशील बागवानी कॉन्क्लेव-2019 का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उद्यानिकी विभाग, कृषि निर्यात, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार (एमओ) राम चौहान करेंगे. डॉ. पी कौशल (कुलपति, सोलन), डॉ. बी सिंह (महानिदेशक, उपकार, अयोध्या), डॉ.एसके मल्होत्रा (कृषि आयुक्त, भारत सरकार), डॉ.बीएनएस मूर्ति (बागवानी आयुक्त, भारत सरकार) सम्मानित अतिथि होंगे. अध्यक्षता प्रोफेसर आर के पाठक (पूर्व निदेशक, आईसीएआर-सीआईएस, लखनऊ व अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, उत्तराखंड) करेंगे.
प्रगतिशील बागवानी कॉन्क्लेव 8 से 10 दिसंबर तक
तेजी से बदलती मशीनों और प्रौद्योगिकियों और तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, कुपोषण, संदूषण/खाद्य पदार्थों की विषाक्तता, सिकुड़ती भूमि और जल संसाधनों और प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों ने हमें नई रणनीतियों की तलाश करने और चुनौतियों के साथ स्थायी योजना बनने हेतु चौराहे पर खड़ा कर दिया. कॉन्क्लेव का उद्देश्य बागवानी उत्पादन, नई पीढ़ी के औजारों और तकनीकों को बागवानी फसलों में आय को दुगुना करने, शोषित/कम ज्ञात स्वदेशी की विविधता का पता लगाने और उपयोग करने के लिए बढ़ाकर हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ बागवानी फसलें, उच्च पोषक और न्यूट्रास्यूटिकल मूल्यों के साथ बागवानी फसलों को बढ़ावा देना, गैर पारंपरिक क्षेत्रों में बागवानी का विविधीकरण, फसल स्वास्थ्य प्रबंधन में तकनीकी हस्तक्षेप और जलवायु के अनुकूल बागवानी और दीर्घकालिक उत्पादन स्थिरता है.
कॉन्क्लेव में 400 से अधिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता बागवानी संकाय, के शिक्षक, शोध सहयोगी एवं वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता, सीनियर विद्यार्थी और किसानों द्वारा भाग लेंगे. जो कॉन्क्लेव के दौरान भविष्य के बागवानी फसलों और उत्पादन तकनीक, गुणवत्ता इनपुट और उपयोग हैं. दक्षता, संरचनाएं/मॉडल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भविष्य की जरूरतों के लिए स्वचालन/तकनीक, जलवायु परिवर्तन में चुनौतियां और शमन, बागवानी में जैविक और अजैविक तनाव, बागवानी में बाधाओं को रोकना और अगली पीढ़ी के तकनीकी साधनों का उपयोग करना, फसल कटाई के नवीन तकनीकों के माध्यम से आय दोगुनी करना , मूल्य संवर्धन, अपशिष्ट और आपूर्ति प्रबंधन, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य, चिकित्सा, आनंद एवं पर्यावरण, बागवानी में सफलता की कहानियाँ, गाय आधारित खेती, हॉर्टी-व्यवसाय प्रबंधन, भविष्य की जरूरतों और रणनीतियों, कौशल और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए विस्तार, किसानों नई नीतियों के साथ समर्थन प्रणाली और महिला सशक्तिकरण के लिए बागवानी जैसे- आठ विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे.