नई दिल्ली : उत्तराखंड के चंपावत जिले के दूरस्थ रीठासाहिब जीआईसी में दो दिनों से छात्र व छात्राएं सामूहिक रूप से बेहोश हो रहीं हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि मास हिस्टीरिया से बच्चों में इस प्रकार की प्रवृत्ति आ रही है। हालांकि शिक्षा विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से स्कूल में जाकर छात्रों की काउंसिलिंग की मांग की है। मंगलवार से स्कूल में तीन छात्रों समेत 24 छात्राओं के बेहोश होने का मामला प्रकाश में आया। इसके बाद बुधवार को भी पांच छात्राएं चीखने- चिल्लाने के बाद अजीब सा बर्ताव करने लगी। इन दो दिनों में स्कूल में अलग-अलग कक्षाओं की 26 छात्राएं और तीन छात्र अचेत हुए हैं।
पूर्व बीडीसी सदस्य कुंदन सिंह बोहरा ने बताया कि मंगलवार को इंटरवल के बाद नौंवी से इंटर तक की 24 छात्राएं चिल्लाने और रोने लगी। स्कूल के स्टाफ ने अचेत हुई छात्राओं को जब पानी पिलाया। तब जाकर वे होश में आई। बुधवार को पांच छात्राएं फिर बेहाशी की हालत में चली गई। इससे स्कूल का स्टॉफ भी घबरा गया। इससे पूर्व जीआईसी रमक और पाटी के स्कूल में ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक मास हिस्टीरिया के लक्षणों से इस प्रकार की बेहोशी आ जाती है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से स्कूल में जाकर सभी बच्चों की गंभीरता से काउंसिलिंग करने का अनुरोध किया है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम रीठा जा सकती है।
चंपावत के सीईओ जितेंद्र सक्सेना कहते हैं कि जीआईसी रीठा साहिब में मंगलवार से छात्र-छात्राओं के बेहोश होने की जानकारी मिली है। प्रथम दृष्टया इसमें मास हिस्टीरिया जैसे लक्षण सामने आए हैं। इस मामले में हमने बाल संरक्षण आयोग से बच्चों की काउंसिलिंग करने की अपील की है। स्वास्थ्य विभाग से भी स्कूल में जाने का आग्रह किया गया है।