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देश के इस मंदिर में कान्हा के खिड़की से मिलते हैं दर्शन, पौराणिक कथा से जानें वजह

नई दिल्ली : देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 19 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिरों की रौनक देखने लायक होती है। कान्हा के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा कृष्ण मंदिर भी है, जहां कान्हा के खिड़की से दर्शन मिलते हैं। मंदिर के भीतर भक्तों के जाने की मनाही है।

लोगों की आस्था है कि इस खिड़की से वे ही श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर पाते हैं, जिन पर खुद प्रभु की कृपा होती है। यह अद्भुत खिड़की कर्नाटक के उडुपी जिले के कृष्ण मंदिर में है। यह देश के बांके बिहार लाल के प्रसिद्ध मंदिरों में भी एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने कराया था।

खिड़की से कान्हा के दर्शन के पीछे की कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कनकदास छोटी जाति से आते थे। मगर वह कृष्ण प्रेमी थे। छोटी जाति से होने के कारण उन्हें कृष्ण मंदिर में अंदर आकर दर्शन-पूजन की मनाही थी। इसलिए वह मंदिर से दूर खड़े होकर कान्हा को याद किया करते थे। एक दिन कनकदास ने भगवान श्रीकृष्ण से दर्शन कराने की प्रार्थना की। प्रभु ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मंदिर के पिछले हिस्से में एक खिड़की बनवा दी जहां हर कोई आ-जा सकता था। कनकदास जब वहां पहुंचे तो भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उन्हें दर्शन दिए। जब लोगों को यह बात पता चली तो और लोग वहां पर आकर कान्हा की पूजा-अर्चना करने लगे। तब से आजतक यह खिड़की से कान्हा के दर्शन करने की परपंरा प्रचलित है।

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