यूरोप में पड़ रही भीषण गर्मी को देखते हुए काम के घंटे कम करने की मांग, कौन सहता है सबसे अधिक तापमान
मेड्रिड : यूरोप में पड़ रही भीषण गर्मी लोगों की जान ले रही है। बीते सप्ताह में ही इसकी वजह से स्पेन में तीन लोगों की जान चली गई थी। भीषण गर्मी अब यहां के लोगोंं लिए एक खौफ बन चुका है। ऐसे में यहां के लोगों ने यूरोपी कमीशन से मांग की है कि उनके काम के घंटे कम किए जाने चाहिए। कर्मचारी संघों का कहना है कि भीषण गर्मी में लोगों का जीवन बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। ऐसे में काम के घंटे कम कर इस समस्या को कम किया जा सकता है। इन संघों का कहना है कि तापमान की अधिकतम सीमा को भी तय किया जाना जरूरी है, जिससे नियमों को स्वत: ही लागू होने में मदद मिल सकेगी।
आपको बता दें कि यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों में इस तरह के नियम पहले से ही बने हैं जहां पर अधिक तापमान होने पर काम रोक देने का प्रावधान है। रायटर के अनुसार इस तरह के नियम समान रूप से सभी सदस्य देशों में अब तक नहीं बने हैं। जहां पर ये लागू भी हैं वहां पर तापमान की तय सीमा अलग-अलग निर्धारित की गई है। यूरोफाउंड की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ के कर्मचारी कम के कम 23 प्रतिशत अधिक तापमान होने पर भी काम करते हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि वे अपने काम का कम से कम एक चौथाई हिस्सा इन्हीं हालातों में बिताते हैं। कृषि और दूसरे उद्योगों में इस तरह के तापमान में काम करने वाले करीब 38 फीसद लोग हैं। इन लोगों को चाहे-अनचाहे रूप में अधिक तापमान में भी काम करना ही पड़ता है।
बता दें कि अधिक तापमान में काम करने वालों को कई तरह की समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार ऐसे कर्मी किसी बीमारी का भी शिकार हो जाते हैं। यूरोपीय ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन की मानें तो विश्व का मजदूर वर्ग सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन को महसूस करने करने के लिए हमेशा सबसे आगे होता है। बढ़ते तापमान के साथ इनके खतरे और चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।