कोवैक्सिन बूस्टर शॉट के असर को परखने भारत ने DCGI से मांगी टेस्टिंग की इजाजत
नई दिल्ली: भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन की तीसरी खुराक की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए भारत के दवा नियामक से नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) करने की अनुमति मांगी है. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी के अनुसार, स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनी ने दूसरी और तीसरी खुराक के बीच छह महीने का अंतर रखते हुए, 5,000 स्वस्थ स्वयंसेवकों पर कोवैक्सिन के बूस्टर शॉट के लिए नैदानिक परीक्षण करने का प्रस्ताव रखा है. सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, फर्म ने लगभग 500 एचआईवी पॉजिटिव रोगियों को शामिल करने वाले प्रतिरक्षात्मक व्यक्तियों पर परीक्षण चलाने का भी प्रस्ताव दिया है.
एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि अगले साल तीन जनवरी से 15 साल से 18 साल की आयु के बीच के बच्चों के लिये कोविड टीकाकरण अभियान आरंभ किया जाएगा. साथ ही 10 जनवरी से स्वास्थ्य व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों, अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 साल से ऊपर के लोगों को एहतियात के तौर पर टीकों की खुराक दिए जाने की शुरुआत की जाएगी.
कोविशील्ड को नहीं मिली थी बूस्टर डोज के लिए इजाजत
हाल ही में, अदार पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी पर्याप्त स्टॉक और बूस्टर शॉट की मांग का हवाला देते हुए कोविशील्ड को बूस्टर खुराक के रूप में लगाने के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी मांगी थी, लेकिन अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था.
डीसीजीआई ने कोविशील्ड से डाटा जमा करने को कहा
सूत्रों के अनुसार, डीसीजीआई के विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट के आवेदन की समीक्षा की और फर्म को बूस्टर के अनुरोध को सही ठहराने के लिए स्थानीय नैदानिक परीक्षण डाटा जमा करने के लिए कहा. इसके अलावा, SII ने ब्रिटेन के अध्ययन से केवल 75 विषयों का इम्युनोजेनेसिटी डाटा प्रस्तुत किया था.
WHO ने दी थी बूस्टर डोज की सलाह
इस महीने की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीकाकरण पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह ने कहा था कि जो लोग प्रतिरक्षाविहीन हैं या जिन्हें एक निष्क्रिय कोविड -19 वैक्सीन प्राप्त हुआ है, उन्हें एंटीबॉडीज में कमी और नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से बढ़ते कोविड-19 मामलों के मद्देनजर सुरक्षा के लिए बूस्टर शॉट्स लेना चाहिए.