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भारत ने वियतनाम के साथ शुरू किया “एक्‍स विनबैक्‍स 2022” अभ्यास

( 1 अगस्त से 20 अगस्त तक चलेगा यह संयुक्त सैन्य अभ्यास )

वियतनाम जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में एक महत्वपूर्ण भागीदार है , उसके साथ भारत ने एक संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत की है। वियतनाम पीपल्‍स आर्मी के साथ 1 अगस्‍त से 20 अगस्त तक चंडीमंदिर में संयुक्त सैनिक अभ्यास “एक्‍स विनबैक्‍स 2022” आयोजित किया जा रहा है। वियतनाम भारत द्विपक्षीय सैनिक अभ्यास का का यह तीसरा संस्करण है । इसके पहले इस अभ्यास को पहली बार 2019 में आयोजित किया गया था।

एक्‍स विनबैक्‍स – 2022 का विषय शांति सेनाओं के संचालन के लिए संयुक्त राष्ट्र दल के हिस्से के रूप में एक इंजीनियर कंपनी और एक मेडिकल टीम की नियुक्ति और तैनाती है। भारत के पास संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैनिकों की तैनाती की एक समृद्ध विरासत भी है ।

इस संयुक्त सैन्य अभ्यास के जरिये दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को जान सकेंगी , आतंकवाद निरोधक क्षमता , आपदा प्रबंधन , मानवतावादी सहायता से जुड़े मुद्दों पर कौशल विकास और कैपेसिटी बिल्डिंग कर सकेंगी।

भारत ने वियतनाम के साथ स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर रखा है , दोनों एक दूसरे के स्ट्रेटेजिक पार्टनर हैं। वियतनाम दक्षिण चीन सागर में स्पार्टले परासेल द्वीपों पर चीन के अवैध कब्जे के प्रयासों का विरोध करता है और इस मामले में भारत वियतनाम के साथ खड़ा है।

यहां आपको एक और महत्वपूर्ण बात बता दें कि एशिया पेसिफिक इकोनामिक पार्टनरशिप यानी एपेक संगठन में भारत अपनी सदस्यता चाहता है और उसकी सदस्यता का सबसे मजबूत और पहली बार समर्थन वर्ष 2000 में वियतनाम ने ही किया था। जब भारत के विदेश मंत्री की वियतनाम यात्रा हुई थी। भारत वियतनाम के साथ मेकांग गंगा सहयोग क्षेत्रीय पहल के जरिये भी जुड़ा है। दोनों देश इसके सदस्य हैं। इसके साथ ही वियतनाम अब इंडिया म्यांमार और थाईलैंड ट्राईलैटरल हाईवे प्रोजेक्ट का हिस्सा भी बन चुका है । इस प्रोजेक्ट में उसके साथ लाओस और कंबोडिया को भी जोड़ दिया गया है।

इसके अलावा भारत ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता भी किया है जिसका वियतनाम एक भाग है। 2021- 22 में भारत वियतनाम के बीच 14 .14 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार भी हुआ था।

आसियान देशों में वियतनाम भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। सिंगापुर , इंडोनेशिया और मलेशिया के बाद वियतनाम का ही स्थान आता है।

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