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LAC पर गतिरोध के बीच भारत-चीन की वार्ता बेनतीजा,गतिरोध जारी

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में दो वर्ष से भी अधिक समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की सोलहवें दौर की बातचीत में लंबित मुद्दों के समाधान को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी। दोनों पक्षों के बीच 16 वें दौर की बातचीत भारतीय सीमा के चुशूल मोल्डो क्षेत्र में रविवार को हुई थी।

बातचीत के बाद सोमवार को देर रात जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच लंबित मुद्दों के समाधान के बारे में पिछले दौर की बातचीत से आगे सकारात्मक और उत्साहजनक बातचीत हुई। दोनों पक्षों ने इन मुद्दों पर खुलकर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों पक्षों ने इस बात को दोहराया कि लंबित मुद्दों के जल्द समाधान से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मैत्री पूर्ण माहौल बनेगा, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी।

दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने बाकी बचे मुद्दों के जल्द और परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए संपकर् बनाए रखने तथा सैन्य और राजनयिक माध्यम से बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, दोनों पक्ष संपर्क में रहने और सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों की मदद से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों को पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर जल्द से जल्द काम करने पर सहमत हुए। इससे पहले भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता रविवार को करीब साढ़े बारह घंटे तक चली। इस दौरान भारत ने फिर से चीन पर दबाव डाला कि वह पूर्वी लद्दाख के विवाद वाले क्षेत्रों से सेना पूरी तरह पीछे हटाए।

दोनों देशों के बीच करीब चार महीने के अंतराल के बाद वार्ता का दौर फिर शुरू हुआ है। वार्ता में भारतीय पक्ष ने सीमा पर अप्रैल 2020 में सैन्य झड़प आरंभ होने से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग की। चुशूल मोल्दो प्वाइंट के भारतीय इलाके में सुबह 9:30 बजे वार्ता आरंभ हुई। ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि इस वार्ता से हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 पर सैन्य तैनाती घटाने की दिशा में प्रगति हो सकती है।

वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वें कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया जबकि चीनी दल का नेतृत्व दक्षिण शिंजियांग सैन्य जिले के प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। दोनों देशों के बीच 15वें दौर की सैन्य वार्ता 11 मार्च को हुई थी और इसमें विवाद सुलझाने को लेकर कोई सफलता नहीं हासिल हुई थी।

इससे एक दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिनजियांग का दौरा किया और अपने सैनिकों के साथ मुलाकात की। यह अहम माना जा रहा है क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन एमी (पीएलए) की शिनजियांग सैन्य कमान मई 2020 से दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध के बीच लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सीमा की देखरेख कर रही है। शिनजियांग में चीनी सैनिकों के साथ उनकी बैठक भारत और चीन के बीच रविवार को होने वाली 16वें दौर की सैन्य वार्ता से पहले हुई है।

पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बाली में हुई बातचीत में पूर्वी लद्दाख से जुड़े विवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने यी को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की जरूरत बताई थी।

उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया।

सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे और गोगरा क्षेत्र में अलगाव की प्रक्रिया पूरी की थी। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद 5 मई 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। इसके बाद से दोनों देशों ने भारी भरकम हथियारों के साथ ही 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की हुई है।

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