पाकिस्तान की पनडुब्बी गाजी का मलबा भारत ने 53 साल बाद अब खोजा
नई दिल्ली : बांग्लादेश की लड़ाई के दौरान 3 दिसंबर 1971 को भारत के विशाखापत्तनम बंदरगाह के पास जोरदार रहस्यमय धमाका हुआ था। इस धमाके का इतना जोरदार असर हुआ था कि बंदरगाह पर बनी बिल्डिंगों के शीशे तक टूट गए थे। स्थानीय लोगों को लगा था कि भूकंप आया है। इस दौरान समुद्र में एक विशाल लहर उठी और फिर समुद्र के अंदर समा गई। यह कोई भूकंप नहीं था बल्कि पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी थी जिसे जो विशाखापत्तनम बंदरगाह के अंदर बारुदी सुरंग लगा रही थी। पाकिस्तान का दावा है कि पनडुब्बी के अंदर आंतरिक विस्फोट हो गया था। भारत की ओर कहा जाता है कि आईएनएस राजपूत युद्धपोत ने इस पाकिस्तानी पनडुब्बी को डुबोया था। इस पनडुब्बी पर 93 पाकिस्तानी नौसैनिक सवार थे और उन सभी की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक अब भारतीय नौसेना के नए अधिग्रहीत डीप सबमर्सिबल रेस्क्यू व्हीकल ने विशाखापत्तनम के पूर्वी तट के पास पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी के मलबे का सफलतापूर्वक पता लगाया है। पीएनएस गाजी जो पाकिस्तानी नौसेना के लिए प्रमुख पनडुब्बी के रूप में कार्य करती थी, उसे इस्लामाबाद ने अमेरिका से लीज पर लिया था। भारतीय नौसेना की सबमरीन रेस्क्यू यूनिट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया है कि पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी को रेस्क्यू व्हीकल ने विशाखापत्तनम तट से कुछ ही समुद्री मील की दूरी पर खोज लिया है। हालांकि, हमने अपनी जान गंवाने वाले पाकिस्तानी नौसैनिकों के सम्मान में मलबे को नहीं छूने का फैसला किया है जो भारतीय नौसेना की परंपरा रही है।
DSRV की खरीद भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो उन्हें अज्ञात समुद्री धाराओं की मैपिंग के लिए उन्नत क्षमता प्रदान करता है और उनके पानी के नीचे के प्लेटफार्मों के लिए बेहतर नेविगेशन सहायता प्रदान करता है। विशाखापत्तनम 16 मीटर की औसत गहराई के साथ, उन कुछ बंदरगाह शहरों में से एक है जो तट के पास समुद्र में चलने वाले जहाजों और पनडुब्बियों को समायोजित कर सकते हैं। साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, इस भारतीय शहर के अनोखे भौगोलिक लाभ के कारण विशाखापत्तनम तट के पास पीएनएस गाजी पनडुब्बी को पाकिस्तान ने तैनात किया था। भारतीय नौसेना का कहना है कि गाजी को डुबोने के लिए आईएनएस राजपूत युद्धपोत का हमला जिम्मेदार था।
पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाजी बंदरगाह शहर के पास समुद्र तल पर स्थित है। भारतीय दल को एक जापानी पनडुब्बी आरओ-110 का भी मलबा मिला है, जो 80 साल से वहीं है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आरओ-110 को रॉयल इंडियन नेवी के एचएमआईएस जुम्ना और ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के इप्सविच द्वारा किए गए हमले में डुबो दिया गया था। साल 2018 में भारत ने डूबे हुए जहाजों और पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए डीप सबमर्सिबल रेस्क्यू व्हीकल का अधिग्रहण किया था। भारत इस तकनीक वाले 12 देशों में से एक है, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस और सिंगापुर शामिल हैं।
बांग्लादेश लड़ाई जब खत्म हुई तब अमेरिका ने इस पनडुब्बी को बाहर निकालने में मदद का अनुरोध किया था लेकिन तब भी भारत ने इसे पूरी विनम्रता के साथ ठुकरा दिया था। यह पनडुब्बी अभी भी विशाखापत्तनम बंदरगाह के बाहरी इलाके में समुद्री कीचड़ के अंदर फंसी हुई है। इस पनडुब्बी के साथ ठीक-ठीक क्या हुआ था, अब तक इसका पता नहीं चल पाया है और चूंकि भारत ने इसे छूने से मना कर दिया है तो सच के सामने आने की उम्मीद भी नहीं है। केएस सुब्रमणियन के मुताबिक संभवत: इस पनडुब्बी में हाइड्रोजन गैस सुरक्षा मानकों से ज्यादा हो गई और जोरदार विस्फोट का दौर शुरू हो गया। इसकी चपेट में पनडुब्बी के सभी हथियार आ गए।