यूक्रेन के हालात पर भारत ने जताई चिंता, यूएन में उठाया ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा का मुद्दा
न्यूयॉर्क : रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्ध की वजह से ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर चिंता जताई गई है। साथ ही भारत ने काला सागर अनाज पर भी संयुक्त राष्ट्र से अपील की है। खास बात है कि लगातार हुए मिसाइल अटैक के बाद यूक्रेन के कम से कम 16 क्षेत्र में हालात खराब हैं। कई लोग बिजली, पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।
यूक्रेन को लेकर यूएन में हुई डिबेट में भारतीय पक्ष ने खासतौर से विकासशील देशों पर पड़ रहे असर के बारे में बात की। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, ‘यूक्रेन संघर्ष का असर केवल यूरोप तक ही नहीं है, बल्कि वैश्विक दक्षिण खासतौर से गंभीर आर्थिक परिणाम भुगत रहा है। महामारी के बाद अब संघर्ष के चलते ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताओं का बढ़ना देख रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमें बहुत उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र आने वाले दिनों में काला सागर अनाज और फर्टिलाइजर पैकेज डील को रिन्यू करने में मदद करेगा और सभी पार्टियां इसे समान रूप से लागू करेंगी।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन में तैयार हालात और नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाए जाने को लेकर भारत चिंतित है।
उन्होंने कहा, ‘संघर्ष की शुरुआत से ही भारत लगातार दुश्मनी और हिंसा को खत्म करने के लिए कह रहा है। … हम डी एस्केलेशन के मकसद से किए जाने वाले सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।’
जी-20 के बाली घोषणापत्र में बुधवार को रूस-यूक्रेन युद्ध पर सदस्य देशों का मतभेद साफ नजर आया, हालांकि उसमें कहा गया है कि युद्ध में फंसे असैन्य नागरिकों की सुरक्षा सहित अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना आवश्यक है। सदस्य देशों के बीच मतभेदों की स्पष्टता के बीच, दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत मे जारी घोषणापत्र में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में देशों का जो रूख था, ‘यहां भी राष्ट्र अपना वही रूख दोहराते हैं।’
उसमें कहा गया है कि ‘ज्यादातर सदस्य (राष्ट्र)’ यूक्रेन में युद्ध की कटु आलोचना करते हैं लेकिन रेखांकित किया कि ‘इससे इतर भी विचार हैं’ और परिस्थितियों का आकलन अलग है। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘मौजूदा समय युद्ध का नहीं होना चाहिए।’ यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से कही थी।
घोषणापत्र के अनुसार, ज्यादातर सदस्य देशों का कहना है कि यूक्रेन संघर्ष से लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। उसमें कहा गया है, जी-20 के सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे मंचों पर रखे गए अपने राष्ट्रीय विचारों को दोहराते हैं, जिनमें रूसी आक्रमकता की निंदा की गई थी।
घोषणापत्र में कहा गया है कि ज्यादातर सदस्य इससे इत्तेफाक रखते हैं कि यूक्रेन युद्ध से विकास की गति धीमी हुई है, महंगाई बढ़ी है, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ी है। उसमें कहा गया है, अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति तथा स्थिरता की सुरक्षा करने वाले बहुमुखी तंत्र का पालन करना आवश्यक है।