भारत ने तोहफे में वियतनाम को दिया युद्धपोत कृपाण, जानिए क्या है खासियत ?
नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का एक सक्रिय-ड्यूटी मिसाइल कार्वेट गिफ्ट के रूप में वियतनाम जा रहा है। यह भारत (India) द्वारा किसी भी देश को दिया गया पहला युद्धपोत (battleship) है। नौसेना ने कहा कि भारत में बना कार्वेट (Corvette) आईएनएस कृपाण बुधवार को भारत के पूर्वी तट से रवाना हो गया। भारत और वियतनाम ने हाल के वर्षों में रक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। ये संबंध ऐसे समय में मजबूत हो रहे हैं जब दोनों देश चीन की बढ़ती आक्रामकता से चिंतित हैं।
भारत ने अतीत में मालदीव और मॉरीशस जैसे देशों को छोटी नावें और सैन्य उपकरण व म्यांमार को एक पनडुब्बी दी है। लेकिन वियतनाम को दिया गया कार्वेट अपनी तरह का पहला इतना बड़ा गिफ्ट है। भारत के इस गिफ्ट को रणनीतिक तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल वियतमान दक्षिण चीन सागर के तट पर स्थित चीन का पड़ोसी है।
दक्षिण चीन सागर को लेकर कई देशों के क्षेत्रीय दावे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा जताता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताईवान जैसे कुछ अन्य देश भी इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों को अपना बताते हैं। चीन वर्षों से पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता रहा है, और इस क्षेत्र में अन्य सेनाओं की उपस्थिति के प्रति संवेदनशील रहा है।
भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि कृपाण को गिफ्ट में देना “अपने समान विचारधारा वाले भागीदारों को उनकी क्षमता और योग्यता बढ़ाने में सहायता करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह भारत द्वारा किसी भी मित्रवत विदेशी देश को पूरी तरह से सक्रिय कार्वेट गिफ्ट में देने का पहला अवसर है।” इससे पहले चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू ने मंगलवार को अपने वियतनामी समकक्ष से मुलाकात के बाद कहा कि बीजिंग उच्च स्तरीय संचार और सहयोग को मजबूत करने के लिए वियतनाम के साथ काम करने को इच्छुक है।
कॉर्वेट एक छोटे आकार के युद्धपोत को बोलते हैं। यह युद्धपोतों की (साइज में) सबसे छोटी श्रेणी मानी जाती है। इससे बड़े युद्धपोतों को फ्रिगट (frigate) बोलते हैं। मौजूदा समय में कॉर्वेट का साइज 500 से 2000 टन के बीच होता है। इस गिफ्ट की घोषणा तब की गई थी जब वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग ने इस महीने की शुरुआत में भारत का दौरा किया था। इस युद्धपोत को 1991 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और इसका डिजाइन और प्रोडक्शन देश में ही किया गया है।
नौसेना ने कहा कि यह मध्यम दूरी और करीबी दूरी की बंदूकें, चैफ लॉन्चर और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से सुसज्जित है। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि इसमें गिफ्ट के तौर पर मिसाइलें भी दी गई हैं या नहीं। आईएनएस कृपाण तीसरा स्वदेश निर्मित खुखरी श्रेणी का मिसाइल कार्वेट है, जो वर्तमान में भारतीय नौसेना में सक्रिय सेवा में है। जहाज हथियारों और सेंसरों की एक लंबी फेहरिस्त से सुसज्जित है और इसने अतीत में विभिन्न परिचालन और मानवीय सहायता कार्यों में भाग लिया है।
चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल संजय वात्सायन के नेतृत्व में पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) के अधिकारियों और कर्मियों ने यहां नौसेना डॉकयार्ड में एक औपचारिक समारोह में जहाज को विदाई दी। सितंबर 2016 में दोनों देशों के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी से व्यापक रणनीतिक साझेदारी में आगे बढ़ाया गया था। नवंबर 2009 में दोनों देशों द्वारा रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, पिछले एक दशक में संबंध लगातार बढ़े हैं।