भूजल संकट से मंडराया भू-धंसाव व भूकंप का खतरा, भारत भी चपेट में
नई दिल्ली (गौरव ममगाई): जलवायु परिवर्तन व जनसंख्या वृध्दि के कारण दुनिया में भूजल का संकट तेजी से गहराने लगा है। घटते भूजल की वजह से भविष्य में पेयजल एवं कृषि संकट पैदा होनी की संभावना है। हैरान करने वाली बात ये भी है कि भूजल की पंपिंग के कारण आने वाले समय में भूमि में धंसाव भी देखने को मिल सकता है, जिससे भूकंप या भूस्खलन की आशंका भी बनी रहेगी। भूजल संकट से चौतरफा मार की आशंका के चलते अनेक देशों की नींद उड़ गई है। कोलोराडो स्टेट विश्वविद्यालय, मिसौरी विश्वविद्यालय व डीआरआई के संयुक्त अध्ययन में भूजल संकट की स्थिति व इससे होने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।
क्या हैं कारण:
भूजल स्तर के तेजी से कम होने का मुख्य कारण शहरी क्षेत्रों व कृषि को बताया गया है। शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या में तेजी से वृध्दि के कारण पेयजल की खपत कई गुना बढ़ रही है। इसी तरह कृषि में सिंचाई हेतु अधिक मात्रा में जल की खपत हो रही है। भूजल दोहन के लिए पंपिंग का सर्वाधिक प्रयोग हो रहा है, जिससे भूमि के भीतर जल गायब हो रहा है और भूमि सूखने के कारण नीचे को धंसने लगी है।
शुष्क देश ही नहीं, आर्द्र जलवायु वाले भारत, बांग्लादेश पर भी खतरा::
रिपोर्ट के अनुसार, भूजल संकट शुष्क देशों में तेजी बढ़ रहा है। यहां जल्द दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। लेकिन, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार जैसे आर्द्र जलवायु वाले देश में भी भूजल संकट तेजी से गहरा रहा है। यहां भी भूजल संकट के कारण जमीन में धंसाव देखने को मिलेगा। भारत में नीति आयोग ने भी 2020 में भूजल संकट को लेकर आगाह किया था। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला जैसे हिल स्टेशन में भी भूजल स्तर चिंताजनक श्रेणी में है। इसके अलावा कई बड़े महानगरों में भूजल स्तर शून्य तक पहुंचने की भी आशंका जताई गई है। ऐसे में इस वैश्विक रिपोर्ट के सामने आने के बाद भूजल संरक्षण की दिशा में गंभीर प्रयास करना बेहद जरूरी है।
दुनिया में 17 घन किमी. प्रति वर्ष कम हो रहा भूजल भंडारण::
कंप्यूटर मॉडलिंग की गणना के अनुसार, दुनियाभर में भूजल भंडारण क्षमता लगभग 17 घन किलोमीटर प्रति वर्ष की दर से कम हो रही है। बता दें कि एक घन मीटर में 1000 लीटर पानी होता है। इसमें 75 प्रतिशत मात्रा की खपत खेती व शहरी क्षेत्रों में हुई है। देखा गया है कि भूजल दोहन तो तेजी से हो रहा है, लेकिन जलस्रोतों को रिचार्ज नहीं किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून का कमजोर होना भी वर्षा में गिरावट का मुख्य कारण है।
भूजल दोहन के कारण होता है 60 प्रतिशत भू-धंसाव::
शोध के अनुसार, दुनियाभर में 77 प्रतिशत जमीन धंसने के लिए मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन 77 प्रतिशत भू-धंसाव के मामलों में करीब 60 प्रतिशत घटनाएं भूजल दोहन के कारण हुई हैं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भूजल दोहन को कम करने व संरक्षण में वृध्दि हेतु गंभीर प्रयास किये जाने चाहिए। हमें धान जैसी अधिक सिंचाई आवश्यकता वाली अनेक फसलों को रोटेशन आधार पर अपनाने व सरकार द्वारा कम सिंचाई वाली फसलों के उत्पादन हेतु प्रोत्साहन देना चाहिए। जलस्रोतों को रिचार्ज करने व कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर जोर देने की जरूरत है।