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भारत ने UNHRC में पाकिस्तान को लताड़ा- ‘आतंकियों पर ठोस कार्रवाई करें’

नई दिल्ली: भारत समेत कई देशों में आतंकवाद फैलाने वाले पाकिस्तान को भारत ने UNHRC में जबरदस्त लताड़ लगाई है। भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वो अपने राज्य-आधारित आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए विश्वसनीय और स्थिर कदम उठाए। इसके अलावा वो अपने यहां पनप रहे आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए ठोस कदम उठाए। भारत ने यहां ह्यूमन राइट्स काउंसिल के 48वें सेशन में पाकिस्तान की तरफ से किये गये कमेंट पर अपना जवाब रखा।

भारत ने यूएनएचआरसी में कहा, ‘पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत पर आधारहीन और झूठे आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की आजादी को छीना जा रहा है और उनके मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है। पाकिस्तान इन बातों से ध्यान हटाने के लिए भारत पर झूठे आरोप मढ़ रहा है। खासकर भारतीय सीमा के उन इलाकों में लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन किया जा रहा है जिनपर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है।’

भारत की तरफ से कहा गया है कि काउंसिल ने देखा कि पाकिस्तान निरंतर पाकिस्तानी डेलीगेशन अलग-अलग एजेंडों पर चर्चा के दौरान बेकार की शेखी बघारते हैं, जिससे उनकी निराशावादी मानसिकता उजागर होती है। पाकिस्तान बेवजह समय की बर्बादी कर रहा है और यह सब करने के बजाए उसे अपने मुल्क में मानवाधिकार की खराब होती स्थिति पर गौर करना चाहिए।

भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि यह विडंबना है कि पाकिस्तान जैसा कट्टर और फेल मुल्क जहां प्रजातंत्र का कोई वैल्यू नहीं है वो दुनिया के सबसे बड़े और विश्वसनीय लोकतंत्र यानी भारत पर सवाल उठाता है। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ बोलने वाले लोगों को वहां जबरन गायब कर दिया जाता है, अतिरिक्त न्यायिक हत्याएं और मनमाने तरीके से उन्हें कैद करने किया जाता है।

भारत ने बताया कि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने साल 2005 में अमीना मसूद के पति को अगवा कर लिया था। पिछले हफ्ते ही अमीना और उनके अन्य रिश्तेदारों ने अपना दर्द बयां किया है। 16 साल हो गये हैं लेकिन अमीना के पति का अब तक कुछ भी पता नहीं चल सका है। ऐसे कई परिवार के लोग अभी वहां काफी परेशान हैं। भारत ने कहा कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद के केंद्र के तौर पर है और उसे आतंकवाद तथा हिंसा के प्रचार-प्रसार के लिए जाना जाता है। भारत ने अपने बयान में कहा, ‘पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसके पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खुले तौर पर यूएन की तरफ से प्रतिबंधित किये गये आतंकवादी संगठनों का समर्थन कर चुके हैं।’

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