व्यापार

भारत अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना,ब्रिटेन को पछाड़कर हासिल की उपलब्धी

नई दिल्ली : आर्थिक मोर्चे पर भारत को एक बड़ी सफलता मिली है। विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में भारत में ब्रिटेन को पछाड़ते हुए 5वें स्थान पर कब्जा जमा लिया है। भारत अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अब लिस्ट में भारत से आगे 4 देश अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं। विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में ब्रिटेन अब 6वें स्थान पर खिसक गया है। गौरतलब है कि 10 साल पहले तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन पांचवें नंबर पर था।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी डॉलर में की गई गणना के मुताबिक 2021 की आखिरी तिमाही में भारत ने ब्रिटेन को पछाड़ दिया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के जीडीपी आंकड़ों में भी बताया गया है कि भारत ने अपनी जीडीपी को मजबूत किया है। ब्लूमबर्ग ने आईएमएफ द्वारा जारी आंकड़ों और मार्च तिमाही के अंत में डॉलर की विनिमय दर के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार नॉमिनल कैश में 854.7 अरब डॉलर हो चुका है, जबकि तुलनात्मक अवधि में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 816 अरब डॉलर था। आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले समय में भारत ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की तुलना में अपनी वृद्धि को मजबूत करेगा।

गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों से भी यह पता चला है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 13.5 फीसदी थी, जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है। ऐसे में सालाना जीडीपी में भी उछाल आने की संभावना है। इस बीच रुपये की तुलना में पाउंड ने भी डॉलर के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। इस साल भारतीय मुद्रा के मुकाबले पाउंड 8 फीसदी गिर गया।

डॉलर एक्‍सचेंज रेट के हिसाब से मार्च तक नॉमिनल कैश टर्म्‍स में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आकार 854.7 बिलियन डॉलर था। इसी आधार पर ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था 816 अरब डॉलर की थी। आईएमएफ डेटाबेस और ब्‍लूमबर्ग टर्मिनल के हिस्टोरिकल एक्‍सचेंज रेट का इस्‍तेमाल करते हुए यह कैलकुलेशन किया गया। आईएमएफ के अनुमान भी दिखा रहे थे कि इस साल ब्रिटेन भारत से पिछड़ने वाला है।

ब्रिटेन पर मुसीबतों के पहाड़ टूटे हुए हैं। वह भीषण महंगाई का सामना कर रहा है। चार दशक में पहली बार वह महंगाई की सबसे तेज रफ्तार से दो-चार है। ग्रोथ भी सुस्‍त है। दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी सिर्फ 1 फीसदी बढ़ी है। उसमें भी अगर महंगाई को एडजस्‍ट कर दें तो यह बढ़ने के बजाय 0.1 फीसदी सिकुड़ी है। डॉलर के मुकाबले उसकी करेंसी का प्रदर्शन भी फीका है।

ब्रिटेन के लिए यह खबर एक और मायने में खराब है। यह तब आई है जब वह अपना नया प्रधानमंत्री तलाशने की राह पर है। इसके लिए विदेश मंत्री लिज ट्रस और पूर्व वित्‍त मंत्री ऋषि सुनक रेस में हैं। प्रधानमंत्री कोई भी बने। लेकिन, उसके सामने कई चुनौतियां होंगी। सबसे बड़ी चुनौती तो अर्थव्‍यवस्‍था को रफ्तार देने की ही होगी।

बीते कुछ सालों में भारत में सुधारों की बयार आई है। ये सुधार हर क्षेत्र में हुए हैं। सुधारों की दिशा में बढ़ने से सरकार घबराई नहीं है। उसने मेड इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कई इनीशिएटिव लिए हैं। इनका ग्रोथ पर सरकारात्‍मक असर पड़ा है। कोरोना के दौरान भी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर रहा। सरकार की इन पॉलिसीज का फायदा हुआ।

Related Articles

Back to top button